AAP vs Congress in Haryana Election 2024: हरियाणा में पूरी ताकत, सारे संसाधन झोंकने के बाद भी कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी। चुनाव नतीजों की समीक्षा के नाम पर पार्टी ऐसी सभी वजहों की तलाश कर रही है जिससे वह जान सके कि आखिर वह पक्ष में माहौल होने के बाद भी चुनाव कैसे हार गई?

चुनाव नतीजों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को कुछ ऐसी सीटों पर नुकसान पहुंचाया जहां पर पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार किया था।

Haryana Election: हरियाणा के चुनाव में क्यों ‘बेअसर’ रहा इनेलो और जेजेपी का जाट-दलित समीकरण वाला गठबंधन?

याद दिलाना होगा कि हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान ही केजरीवाल को कथित आबकारी घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी। इसके बाद केजरीवाल हरियाणा के चुनाव प्रचार में कूद गए थे और उन्होंने कुछ सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों के लिए रोड शो किया था और वोट मांगे थे। इस दौरान उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस को निशाने पर लिया था और खुद को हरियाणवी बताते हुए लोगों से आम आदमी पार्टी को एक मौका देने की बात कही थी। हालांकि चुनाव नतीजे पार्टी के लिए बेहद खराब रहे और वह एक भी सीट नहीं जीत सकी लेकिन पार्टी ने कुछ जगहों पर कांग्रेस का खेल जरूर खराब कर दिया।

90 में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी आम आदमी पार्टी केवल 1.79% वोट ही हासिल कर पाई।

अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा की 11 सीटों पर पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया। इनमें से पांच सीटें ऐसी थी जहां पर आम आदमी पार्टी को मिले वोट जीत के अंतर से ज्यादा थे और इससे कांग्रेस को नुकसान हुआ। बताना होगा कि हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 48 सीटें मिली जबकि कांग्रेस 37 सीटों पर आकर रुक गई। इनेलो ने 2 और 3 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती।

हरियाणा में इन 11 सीटों पर जहां केजरीवाल ने प्रचार किया, उनमें- बल्लभगढ़, असंध, रेवाड़ी, बादशाहपुर, भिवानी, पूंडरी, महम, कलायत, रानियां, डबवाली और जगाधरी में से आम आदमी पार्टी तीन सीटों (रेवाड़ी, भिवानी और जगाधरी) में तीसरे स्थान पर रही। एक सीट पर चौथे स्थान पर, पांच सीटों पर पांचवें और एक-एक सीट पर सातवें और आठवें स्थान पर रही।

AAP vs Congress in Haryana election 2024
11 सीटों के नतीजे जहां पर अरविंद केजरीवाल ने प्रचार किया।

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं लेकिन वे हरियाणा में अलग-अलग चुनाव लड़े।

नतीजों से नाराज है कांग्रेस नेतृत्व

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने चुनाव नतीजों को लेकर सख्त नाराजगी जाहिर की है। याद दिलाना होगा कि वरिष्ठ नेता और सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा चुनाव प्रचार से काफी दिन तक दूर रही थीं। इसे भी हार की एक अहम वजह माना जा रहा है। इसके अलावा चुनाव में गैर जाट मतों का ध्रुवीकरण हुआ है और बीजेपी को बड़े पैमाने पर पंजाबी खत्री, यादव, ब्राह्मण और अन्य सवर्ण जातियों के वोट मिले हैं और इसने पार्टी की लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में मदद की है।

माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस हरियाणा में अपने संगठन में बदलाव कर सकती है। पार्टी विधानसभा में नेता विपक्ष के पद पर किसी गैर जाट बिरादरी के नेता को मौका दे सकती है और प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बदलाव कर सकती है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान विधानसभा चुनाव में हार गए हैं। पिछले चुनाव में भी उदयभान को हार मिली थी।