भारतीय सिनेमा के ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ कहे जाने वाले आमिर खान का जन्म (Aamir Khan Birthday Special) बांद्रा (मुंबई) के होली फैमिली हॉस्पिटल में 14 मार्च, 1965 को हुआ था। वह खुद को ‘पूरी तरह मुंबईकर’ मानते हैं। लेकिन उनके परिवार की जड़ें उत्तर प्रदेश में फैली हुई हैं।

आमिर खान के पिता ताहिर हुसैन का जन्म भोपाल और मां का जन्म बनारस में हुआ था। हालांकि दोनों रहे लखनऊ में। साल 2011 में OPEN मैगजीन को दिए एक विस्तृत इंटरव्यू में आमिर खान ने बताया था कि उत्तर प्रदेश में अब भी उनकी पुश्तैनी संपत्ति है।

उन्होंने कहा था, “उत्तर प्रदेश में हरदोई के पास शाहाबाद में हमारी पुश्तैनी संपत्ति है। मेरा कभी भी वहां जाना नहीं हुआ है। मेरे परदादा के वहां आम के बगीचे थे। मेरे पिता के पांच भाई-बहन थे। उनका और उनके भाई का निधन हो गया और अन्य लोग इसे बेचने के इच्छुक थे। लेकिन मैं नहीं चाहता कि यह जमीन, जो मेरे परदादा की जमीन है, परिवार के बाहर जाए। इसलिए मैंने इसे खरीदने का फैसला किया। मैं वहां कभी नहीं गया, लेकिन मैं वहां जाना चाहता हूं।”

कॉलेज में लेट पहुंचे थे आमिर खान

आमिर खान को अब मिस्टर परफेक्शनिस्ट के रूप में जाना जाता है, लेकिन वह हमेशा इतने परफेक्ट नहीं थे। अपने लाखों प्रशंसकों की तरह, आमिर का जीवन भी कॉलेज के दिनों में मज़ेदार था। लेहरिन रेट्रो के यूट्यूब चैनल पर शेयर किए गए एक पुराने इंटरव्यू में आमिर खान को अभिनेता बनने से पहले के अपने जीवन के बारे में खुलकर बात करते देखा जा सकता है। इंटरव्यू को देखकर ऐसा लग रहा है यह उनकी पहली फिल्म कयामत से कयामत तक की रिलीज से पहले शूट किया गया हो।

इंटरव्यू में आमिर बताते हैं, “फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले मैं ज्यादा कुछ नहीं कर रहा था। मैं एक स्टूडेंट था। मैंने अपनी 11वीं और 12वीं की पढ़ाई एनएम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (मुंबई) से की। कॉलेज के दिनों में मैं अक्सर कॉलेज के अंदर कम और बाहर  ज्यादा रहता था। आमतौर पर मैं कॉलेज लेट पहुंचता था। जब तक मैं पहुंचता, क्लास शुरू हो चुकी होती और मुझे क्लास में एंट्री नहीं मिलती। इसलिए हम बाहर घूमने चले जाते थे। मैं अपने दोस्तों के साथ लिंकिंग रोड या जुहू में घूमता था।”

फिल्म में कैसे आए आमिर खान?

आमिर खान के फिल्मी दुनिया में आने के बहुत पहले से उनका परिवार इस उद्योग में सक्रिय था। उनके पिता ताहिर हुसैन, चाचा नासिर खान और चचेरे भाई मंसूर खान सभी फिल्म निर्माता रहे। आमिर खान की पहली फिल्म कयामत से कयामत तक (1988) के प्रोड्यूसर उनके चाचा नारिस हुसैन और डायरेक्टर चचेरे भाई मंसूर खान (नारिस के हुसैन के बेटे) थे।

इंटरव्यू में आमिर खान फिल्म उद्योग में आने की अपनी कहानी बताते हुए कहते हैं, “फिल्म इंडस्ट्री में मेरा पहला कदम मेरे चाचा नासिर हुसैन के सहायक निर्देशक के रूप में था, जिनके साथ मैंने तीन साल तक काम किया। हमने साथ में दो फिल्में कीं, मंजिल मंजिल (1984) और ज़बरदस्त (1985)। यह मेरे अभिनेता बनने से पहले की बात है।”

अपनी पहली फिल्म का पोस्टर चिपकाने खुद जाते थे आमिर खान

आमिर बताते हैं, “फिल्म रिलीज होने से पहले मैं खुद डरा हुआ था। पता नहीं था कि फिल्म चलेगी या नहीं। मैं खुद दोस्तों से बोलता था फिल्म देखने के लिए। किसी से मिलता था तो कहता था कि फिल्म जरूर देखिएगा। फिल्म के जो पोस्टर बने थे, उसे मैं खुद ऑटो पर चिपकाता था। पूरे शहर में घूम-घूमकर। साथ में मेरे दोस्त भी हुआ करते थे।”

वह आगे कहते हैं, “हम गाड़ियों को रोकते थे और कहते थे कि हमारी फिल्म आ रही है हमें पोस्ट चिपकाना है। कुछ लोग मान जाते थे। कुछ लोग मान कर देते थे। नहीं चिपकाने देते थे। वो पूछते थे कि कौन है फिल्म में… मैं कहता था आमिर खान… वो पूछते थे कौन आमिर खान, मैं बताता था कि मैं ही आमिर खान हूं।”

कयामत से कयामत तक हिट रही थी। फिल्म को फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए ग्यारह कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था और फिल्म सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सहित आठ पुरस्कार जीतने में सफल रही। इतना ही नहीं कयामत से कयामत तक को  सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।