15 अगस्त 2022। भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ। 1947 में मिली स्वतंत्रता के लिए भारत ने लम्बा संग्राम किया था, जिसमें देश की वीरांगनाओं ने भी महती भूमिका निभाई थी। उन मह‍िलाओं के कारनामे इत‍िहास में स्‍वर्णाक्षरों में दर्ज हैं। उनके साथ ही उन औरतों को भी सदा याद क‍िया जाएगा ज‍िन्‍होंने आजाद भारत में कामयाबी की ऐसी गाथा ल‍िखी जो सदा के ल‍िए इ‍त‍िहास में दर्ज रहेगा। ऐसी ही कुछ मह‍िलाओं की कहानी जानते हैं:

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भारतीय रेल की पहली महिला लोको पायलट

सुरेखा शंकर यादव आजाद भारत की पहली महिला ट्रेन चालक हैं। उनका जन्म 2 सितंबर 1965 को महाराष्ट्र के सतारा में हुआ था। सुरेखा को सेंट्रल रेलवे के मुंबई सेक्शन में ड्राइवर के रूप में चुना गया था। वह 1988 से ट्रेन चला रही हैं। अगस्त 1994 से मार्च 1995 तक उन्होंने मालगाड़ी भी चलाई है। साल 2021 के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सुरेखा ने एक अनोखा ट्रेन चलाकर रिकॉर्ड बनाया। इस दिन वह जिस ट्रेन को मुंबई से लेकर लखनऊ पहुंची उसमें सभी स्टाफ महिलाएं थीं। इस मौके पर रेल मंत्री ने विशेष रूप से सुरेखा यादव को बधाई दी थी।

अशोक चक्र पाने वाली पहली महिला

अशोक चक्र से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय महिला नीरजा भनोट थीं। हवाई जहाज की सीनियर क्रू मेंबर नीरजा आतंकियों से पैसेंजर्स को बचाते हुए शहीद हो गई थीं। 5 सितंबर 1986 को मुंबई से उड़ान भरने वाली PAN AM फ्लाइट-73 को पाकिस्तान और जर्मनी के रास्ते अमेरिका जाना था। लेकिन पाकिस्तान के कराची में आतंकियों ने इस फ्लाइट पर कब्जा कर लिया। वह अमेरिकी नागरिकों को बंदी बना फिलीस्तीनी कैदियों को छुड़ाना चाहते थें।

नीरजा ने अपनी सूझबूझ और बहादुरी से अमेरिकी नागरिकों का पासपोर्ट छिपा लिया ताकि उनकी पहचान न हो सके। वह आतंकियों की नजर से बचकर पैसेंजर्स को इमरजेंसी गेट से बाहर भी निकाल रही थीं, तभी आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी। इस शहादत के बाद नीरजा को भारत के अलावा पाकिस्तान और अमेरिका ने भी सम्मानित किया। बता दें कि अशोक चक्र शांति के समय दिया जाने वाला सबसा ऊंचा वीरता का पदक है। यह पदक असाधारण वीरता और बलिदान के लिए राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है।

वायुसेना की प्रथम महिला पायलट

हरिता कौर देओल इंडियन एयरफोर्स की पहली महिला पायलट थीं। उन्होंने महज 22 वर्ष की उम्र में अकेले उड़ान भरी थी। देओल का जन्म 25 दिसंबर 1972 को पंजाब के एक सिख परिवार में हुआ था। 1993 में वह भारतीय वायुसेना में शामिल हुईं और 2 दिसंबर 1994 को एविरो एचएस 748 में अकेले उड़ान भरी। बहुत कम उम्र में अपने नाम इतिहास का एक अध्याय करने वालीं हरित कौर देओल की मौत मात्र 24 साल की आयु में हो गयी थी। 24 दिसंबर 1996 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के पास एक एयरक्राफ्ट क्रैश 24 अन्य मेंबर्स के साथ भारत की पहली महिला पायलट की भी जान चली गई थी।

सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश

भारत के सर्वोच्च न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश फातिमा बीवी थीं। उनका जन्म 30 अप्रैल, 1927 को केरल के पत्तनमतिट्टा में हुआ था। त्रिवेंद्रम लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई करने वाली फातिमा के नाम कई रिकॉर्ड हैं। साल 1950 में जब उन्होंने बार काउंसिल की परीक्षा दी तो टॉप करने वाली पहली महिला बन गयीं। साल 1983 में जब केरल हाईकोर्ट की जज बनीं, उच्च न्यायालय की पहली मुस्लिम महिला जज के रूप में रिकॉर्ड बनाया।

अक्टूबर 1989 में जब सुप्रीम कोर्ट की न्यायधीश नियुक्त हुईं, तो उच्चतम न्यायालय की जज बनने वाली पहली महिला के रूप में चर्चित हुईं। इस नियुक्ति से भारत पूरे एशिया में गौरवान्वित हुआ क्योंकि तब तक एशिया के किसी देश के सर्वोच्च न्यायालय में कोई भी महिला जज नहीं बनी थी।

माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली महिला

बछेंद्री पाल दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। पाल का जन्म 24 मई, 1954 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिला स्थित नकुरी गांव में हुआ था। वह भोटिया जनजाति से ताल्लुक रखती हैं, जिसे अर्धघुमन्तू जनजाति के रूप में जाना जाता है। पाल ग्रेजुएट की पढ़ाई करने वाली अपने समाज की पहली महिला हैं। पर्वतारोही के रूप में कई कीर्तिमान रचने वाली बछेंद्री पाल पद्म श्री, अर्जुन पुरस्कार, पद्म भूषण समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं।

एशिया की पहली महिला ट्रक ड्राइवर

पार्वती आर्य एशिया की पहली महिला कमर्शियल ट्रक चालक थीं। पिछले ही वर्ष (2021) नवंबर में उनका निधन हुआ। आज भी ज्यादातर ट्रक चालक पुरुष ही नजर आते हैं। 1976 तक तो एशिया में एक भी महिला ट्रक नहीं चलाती थी। पुरुषों के वर्चस्व वाले इस पेशे में अपनी पहचान बनाने की पहली कोशिश की मध्यप्रदेश के मंदसौर की पार्वती आर्य ने।

घर की खराब आर्थिक हालत को देखकर पार्वती अपने पिता के लकड़ी के व्यवसाय से जुड़ गईं। इस काम में ट्रक चालकों का दबदबा था। यही वजह रही कि पार्वती ने खुद ट्रक चलाकर लकड़ी लाने का फैसला किया। लेकिन उन्हें लाइसेंस बनवाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। बताया जाता है कि उन्होंने आरटीओ ऑफिस में इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा था, ”जब इंदिरा गांधी देश चला सकती हैं, तो मैं ट्रक क्यों नहीं चला सकती।”  पार्वती आर्य को तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के हाथों पुरस्कृत हुई थीं।

पहली महिला ऑटो ड्राइवर

देश की पहली महिला ऑटो रिक्‍शा ड्राइवर शीला दावरे हैं। शीला का नाम पहली महिला ऑटो ड्राइवर के रूप में 1988 से लिम्‍का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज है। शीला ने 12वीं की पढ़ाई के बाद 18 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था। इसके बाद वह पुणे में ऑटो चलाने लग गई थी। शीला बताती है, ‘मैंने 1988 से 2001 के बीच 13 साल तक ऑटो से लेकर मेटाडोर तक सभी तरह के वाहन चलाए हैं।’ अब शीला अपने पति के साथ मिलकर अपनी ट्रेवल कंपनी चलाता हैं।

पहली महिला कमर्शियल पायलट

कमर्शियल प्लेन उड़ाने वाली भारत की पहली महिला प्रेम माथुर थीं। उनका जन्म 1910 में हुआ था। वह ऐसा दौर था जब कोई एयरलाइन्स किसी महिला को बतौर पायलट नौकरी नहीं देना चाहता था। 8 एयरलाइन्स से रिजेक्ट होने के बाद उन्हें आजादी के बाद 1947 में डेक्कन एयरलाइंस ने बतौर पायलट हायर किया। 38 साल की उम्र पहली कमर्शियल को-पायलट बनीं माथुर को अपने प्रोफेशनल लाइफ में इंदिरा गांधी से लेकर लेडी माउंटबेटन तक को लेकर उड़ाने का मौका मिला।

पहली महिला आईएएस

भारत की पहली महिला आईएएस अन्ना राजम मल्होत्रा थीं। उनका जन्म 17 जुलाई, 1927 को केरल में हुआ था। मल्होत्रा 1951 बैच की आईएएस अधिकारी थीं। उन्हें राजीव गांधी और पूर्व गवर्नर सी.राजगोपालाचारी जैसों दिग्गजों के साथ काम करने का मौका मिला। भारत सरकार ने उनके योगदान के लिए उन्हें 1989 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

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First published on: 03-08-2022 at 11:13 IST