पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की ही तर्ज पर फ्री बिजली का वादा किया था। मंगलवार (7 जुलाई) को पंजाब की नई भगवंत मान सरकार ने 600 यूनिट मुफ्त बिजली देने के अपने वादे को पूरा किया। सीएम मान ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ”आज कैबिनेट साथियों के साथ एक अहम बैठक हुई। पंजाब की जनता को हमने मुफ्त बिजली की गारंटी दी थी। आज फैसले पर मुहर लग गई। अब पंजाब की जनता को हर बिल पर 600 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी। हम पंजाब और पंजाबी से किए गए हर वादे को पूरा करेंगे।”
रिजर्व बैंक का अध्ययन और पंजाब: भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने एक ताजा अध्ययन में बताया है कि राज्य सरकारों की वित्तीय हालत खराब है और इसके लिए सिर्फ कोरोना महामारी जिम्मेदार नहीं है। राजस्व में कमी का एक बड़ा कारण खर्चों में वृद्धि है। राज्य सरकारों की फ्री बांटने (बिजली, पानी, कैश) की प्रवृत्ति ने उनकी वित्तीय स्थिति को ज्यादा खराब किया है। वित्तीय दृष्टि से कमजोर राज्यों की सूचि में बिहार, केरल, राजस्थान, पंजाब और पश्चिम बंगाल अव्वल हैं। कर्ज, वित्तीय घाटे और अधिक खर्चों के कारण इन राज्यों पर वित्तीय दबाव अधिक है। पंजाब की हालत इतनी खराब है कि उसके राजस्व का 20 फीसदी हिस्सा ब्याज का भुगतान करने में खर्च हो जाता है।
वित्त आयोग ने राज्यों को जीडीपी के अनुपात में कर्ज कम करने का सुझाव दिया था। आयोग को उम्मीद है कि 2025-26 तक कर्ज-जीडीपी अनुपात घटकर 32.5 फीसदी हो जाएगा। पंजाब की हालत इतनी खराब है कि वहां पिछले 6 साल से कर्ज-जीडीपी अनुपात 40 फीसदी बना हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब फिलहाल तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है। ऐसे में फ्री बिजली की नई योजना पंजाब की अर्थव्यवस्था को और नुकसान पहुंचा सकती है।
फ्री बिजली और पंजाब: बिजली उत्पादन के लिए देशभर में करीब 70 थर्म पॉवर प्लांट है और करीब 22 न्यूक्लियर पॉवर स्टेशन हैं। इन पॉवर स्टेशन की हालत खराब है। इनसे बिजली खरीदने वाली कंपनियों (डिस्कॉम) पर करीब सवा लाख करोड़ रुपए बकाया है। उधर बिजली बनाने वाले पॉवर प्लांट्स के पास कोयला उत्पादकों को देने के लिए पैसा नहीं है। कोयला कंपनियों का करीब 6400 करोड़ रुपया बिजली बनाने वाली कंपनियों के पास बकाया है। बकाया की इस रेलगाड़ी से कोयला सप्लाई आए दिन बाधित रहता है। पंजाब के कई प्लांट कोयला न मिलने की वजह से बंद हो गए। जाहिर है फ्री बिजली की योजना पंजाब के वित्तीय बोझ को और बढ़ाएगी।
पंजाब अपने खर्च के लिए राजस्व से कुल 47.4 फीसदी ही जुटा पाता है। शेष के लिए केंद्र पर निर्भर रहता है। मुख्यमंत्री बनते ही भगवंत मान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे थे। मुलाकात का मुख्य मकसद वित्तीय मदद मांगना था। सीएम मान ने राज्य की खराब आर्थिक हालात का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री से हर साल 50,000 करोड़ के राहत पैकेज की मदद मांगी है।