दिल्ली का लोक नायक अस्पताल राजधानी की लाइफलाइन माना जाता है, इस सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। लेकिन अब यह सरकारी अस्पताल खुद इलाज मांग रहा है, यहां पर व्यवस्थाएं चरमरा चुकी हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी जांच में पाया है कि अस्पताल में कहने को 15 वेंटिलेटर मौजूद हैं, लेकिन काम सिर्फ एक कर रहा है। इस वजह से जिस अस्पताल में पहले महीने की 30 सर्जरी हो जाती थीं, वो आंकड़ा अब काफी कम हो चुका है।

लोक नायक अस्पताल की ग्राउंड रिपोर्ट

इंडियन एक्सप्रेस ने जब दिल्ली के लोक नायक अस्पताल के न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड्स को खंगाला तो पता चला कि कुल 15 वेंटिलेटर मौजूद हैं, लेकिन काम सिर्फ एक कर रहा है। वर्तमान में अस्पताल में 2153 बेड हैं। हैरानी की बात यह भी है कि अस्पताल की जो वीकली रिपोर्ट आती है, उसमें तो बताया गया है कि मंगलवार तक सिर्फ अस्पताल में 14 वेंटिलेटर थे, वो भी काम नहीं कर रहे थे। हालात को देखते हुए बुधवार को एक वेंटिलेटर और जोड़ा गया।

पीएम केयर फंड से लिए वेंटिलेटर नहीं कर रहे काम

रिकॉर्ड्स तो यह भी बताते हैं कि पिछले आठ महीने से 10 वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे हैं, दो वेंटिलेटर एक साल से खराब पड़े हैं और दो सालों से दो वेंटिलेटर ठप हैं। बताया जा रहा है कि डिफेक्टिव पार्ट्स की वजह से सबसे ज्यादा वेंटिलेटर खराब हो रहे हैं और उन्हें तुरंत बदलने की जरूरत आ पड़ी है। बड़ी बात यह भी है दो ऐसे वेंटिलेटर भी अस्पताल में मौजूद हैं जो पीएम केयर फंड्स से कोरोना काल में खरीदे गए थे। लेकिन वो भी काम नहीं कर रहे हैं।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने साधी चुप्पी

इंडियन एक्सप्रेस से खस्ताहाल के लिए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह से संपर्क साधा, लोक नायक अस्पताल के डायरेक्टर बीएल चौधरी से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन कहीं से भी जवाब नहीं आया, विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं की गई। अब समझने वाली बात यह है कि लोक नायक अस्पताल दिल्ली का एक बड़ा सरकारी हॉस्पिटल है, यहां पर 24 घंटे न्यूरोसर्जरी सर्विस दी जाती हैं। लेकिन अब क्योंकि कई वेंटिलेटर ही काम नहीं कर रहे हैं, ऐसे में सर्जरी भी ज्यादा नहीं हो पा रही हैं।

मरीजों को कैसे मिल रहा LNJP में इलाज?

अब इस समय जिन मरीजों को न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट में रखने की जरूरत हैं, उन्हें जनरल सर्जरी डिपार्टमेंट में रखा जा रहा है। वहीं जिन मरीजों की सर्जरी हो भी रही है, उन्हें Ambu Bags दिए जा रहे हैं। असल में एंबू बैग्स का इस्तेमाल मैन्युएली किया जाता है, शॉर्ट टर्म रेसपिरेट्री सपोर्ट के लिए यह कारगर रहता है।

Ankita Upadhyay की रिपोर्ट