मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी को आज उसकी रिहाई से ठीक पहले अपहरण के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। इससे पहले पाकिस्तान की एक अदालत ने जन सुरक्षा आदेश के तहत लखवी की हिरासत बढ़ाने के लिए जारी अधिसूचना को निलंबित कर दिया था। भारत ने लखवी की रिहाई को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी।

लखवी को मुहम्मद अनवर नाम के एक व्यक्ति के अपहरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इस मामले में उसके खिलाफ इस्लामाबाद के गोलरा थाने में प्राथमिकी दर्ज थी। उसे ड्यूटी मजिस्ट्रेट मलिक अमान की अदालत में पेश किया गया जहां से उसे दो दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।

लखवी को 10 लाख रूपये का मुचलका भरने के बाद इस्लामाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर आज सुबह अडियाला जेल से रिहा किया जाना था, लेकिन इससे ठीक पहले जेल अधीक्षक को अपहरण के एक मामले में उसकी गिरफ्तारी से संबंधित सरकार का आदेश मिल गया। लखवी के वकील राजा रिजवान अब्बासी ने सरकार के निर्णय का विरोध किया है।

इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने कल सरकार के ‘मैंटीनेंस ऑफ पब्लिक ऑर्डर’ (एमपीओ) को निलंबित कर दिया था जिसके तहत लखवी को हिरासत में रखा जा रहा था। अदालत के फैसले से लखवी की रिहाई का मार्ग प्रशस्त हो गया था। इससे भारत में रोष भड़क गया था और इसने पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब कर कड़ा विरोध दर्ज कराया था।

भारत ने पाकिस्तान को अपनी ‘‘कड़ी चिंता’’ से अवगत कराया था और कहा था कि ‘‘इस धारणा का अंत होता दिखाई नहीं देता कि पाकिस्तान ऐसे आतंकी समूहों का पनाहगाह बना हुआ है जिन्हें सब जानते हैं।’’

विदेश सचिव सुजाता सिंह ने नयी दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त बासित को तलब किया और इस्लामाबाद स्थित भारतीय मिशन ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के समक्ष मुद्दा उठाया।

आज के घटनाक्रम के बाद लखवी के वकील अब्बासी ने कहा, ‘‘कार्यकारी प्राधिकार अदालत के आदेश को स्वीकार करता प्रतीत नहीं होता । अन्य मामले में मेरे मुवक्किल को गिरफ्तार करना अदालत के आदेश को कमजोर करने जैसा है।’’

लखवी ने एमपीओ के तहत अपनी हिरासत के आदेश को चुनौती दी थी। इस्लामाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश नूरूल हक एन कुरैशी ने लखवी के आवेदन को कल स्वीकार करते हुए सरकार के आदेश को निलंबित कर दिया था।

न्यायाधीश ने लखवी को 10 लाख रुपये का मुचलका भरने का आदेश दिया था। अदालत ने लखवी को यह भी निर्देश दिया था कि वह मुंबई हमलों से जुड़े मामले की हर सुनवाई में शामिल होगा। अदालत ने जब फैसला दिया तो उस समय सरकार का कानूनी अधिकारी मौजूद नहीं था।

लखवी के हिरासत आदेश को निलंबित करते हुए अदालत ने पाकिस्तान सरकार को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में मामले की अगली सुनवाई की तारीख 15 जनवरी को जवाब दे।

इस्लामाबाद में आतंकवाद रोधी अदालत के न्यायाधीश सैयद कौसर अब्बास जैदी ने 18 दिसंबर को लखवी को सबूतों की कमी का हवाला देते हुए मुंबई हमलों से संबंधित मामले में जमानत दी थी। इससे पहले कि उसे जेल से रिहा किया जाता, सरकार ने उसे एमपीओ के तहत तीन और महीने के लिए अडियाला जेल में रखने का आदेश दिया था, जहां मुकदमा चल रहा है।

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूर्व में कहा था कि सरकार लखवी को अन्य मामले में हिरासत में ले सकती है। अधिकारी ने कहा था, ‘‘लखवी को जेल से रिहा करने पर दुनियाभर से, खासकर भारत से गहरी आलोचना होगी तो पाकिस्तान सरकार एक अन्य मामले में लखवी को हिरासत में ले सकती है जैसा लश्कर ए झंगवी के प्रमुख मलिक इसहाक के मामले में किया गया।’’

इसहाक जेल से रिहाई से पहले हत्या और आतंकवाद के मामले में न्यायिक हिरासत में था। बाद में सरकार ने जन सुरक्षा आदेश के तहत उसकी हिरासत की अवधि बढ़ाने की मांग नहीं की।

लखवी के वकीलों ने कल सुनवाई के दौरान निचली अदालत के उस आदेश की प्रति भी पेश की जिसमें लखवी को जमानत दी गई थी। आदेश में कमजोर सबूतों का हवाला देते हुए यह भी कहा गया था कि प्राथमिकी अप्रासंगिक धाराओं के तहत दर्ज की गई।

लखवी तथा छह आरोपी- अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हमाद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनिस अंजुम- 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमलों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने में कथित रूप से शामिल थे। इन हमलों में 166 लोगों की जान गई थी।

लखवी को दिसंबर 2008 में गिरफ्तार किया गया था। उस पर तथा छह अन्य पर 25 नवंबर 2009 को मामले के सिलसिले में अभियोग लगाया गया था। सुनवाई वर्ष 2009 से जारी है।