दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कई गैंगस्टर हुए लेकिन अल कॅपोन की कहानी थोड़ी अलग थी। अमेरिका का खतरनाक अल कॅपोन ऐसा था, जो पैसे से दुनिया की हर चीज खरीदने की कोशिश करता था। साल 1920 से शुरू हुआ इस अपराधी का सफर 1947 में थमा लेकिन इस दौरान उसने अमेरिका में अपने नाम की दहशत लोगों को मन-मस्तिस्क में बैठा दी थी।
अल्फोंस गेब्रियल कॅपोन उर्फ अल कॅपोन का जन्म अमेरिका के चर्चित शहर न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में साल 1899 में हुआ था। अल कॅपोन ने केवल छठी तक पढ़ाई की फिर स्कूल छोड़ दिया। उस समय अमेरिका के कई शहरों में स्ट्रीट गैंग का कल्चर पनप चुका था। अल कॅपोन ने भी पहले इन छोटे-छोटे गैंग्स में काम किया। फिर 1920 में अल कॅपोन शिकागो के एक खूंखार स्ट्रीट गैंग लीडर जॉनी टोरिओ के गैंग में शामिल हो गया।
अल कॅपोन ने जॉनी टोरिओ के साथ काम करते-करते अवैध शराब और जुए के धंधे में मास्टरी कर ली। अपने कामों से अल कॅपोन ने जॉनी टोरिओ का विश्वास जीत लिया और गैंग में दूसरे नंबर की जगह बना ली। साल 1925 में टोरिओ पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गया। जॉनी के कहने पर अल कॅपोन ने गैंग की कमान अपने हाथ में ले ली।
उन दिनों शिकागो और ब्रुकलिन जैसे शहरों में गैंगवार आम बात हो गई थी। अब इन हमलों के बीच अल कॅपोन का नाम भी था लेकिन उसने गैंग को एकजुट कर सभी को किनारे लगा दिया। अल कॅपोन ने जॉनी टोरिओ के अवैध शराब और जुए के साथ सेक्स रैकेट के धंधे को चरम पर पहुंचा दिया। कॅपोन के बारे में बताया जाता है कि 1926-27 के समय इन काले धंधों ने उसकी कमाई करीब 100 मिलियन डॉलर के करीब थी।
बेहिसाब दौलत के नशे में चूर अल कॅपोन ने काले धंधे को जारी रखने के लिए सभी को रिश्वत देने की कोशिश की। अल कॅपोन के लिस्ट में मेयर, स्थानीय पुलिस अधिकारियों के अलावा जजों तक के नाम शामिल थे। अल कॅपोन, उस समय दुनिया का सबसे खतरनाक गैंगस्टर माना जाता था, क्योंकि उसकी प्राइवेट आर्मी में करीब 600 अपराधी शामिल थे। उसका नाम 14 फरवरी, 1929 के भयानक नरसंहार में भी सामने आया था, जिसमें दिनदहाड़े एक प्रतिद्वंदी गैंग के 7 लोगों को गोली मार दी गई थी।
काफी समय से पुलिस की नजरों में चढ़े अल कॅपोन को उसके कुछ साथियों के साथ 17 मई 1929 में फिलाडेल्फिया में गिरफ्तार कर लिया गया। उसे एक साल के लिए जेल भेज दिया गया लेकिन अच्छे आचरण की वजह उसे 9 महीनें में जमानत पर रिहा कर दिया गया। इसके बाद साल 1931 में उस पर कोर्ट की अवमानना का आरोप लगा और फिर 6 माह की सजा हो गई। 16 जून, 1931 को अल कॅपोन पर कर (Tax) चोरी के 22 मामले में आरोप लगा।
टैक्स चोरी के पांच मामलों में उसे दोषी पाया गया और फिर अक्टूबर माह में उसे 11 साल जेल की सजा हुई। सात साल तक अलकाट्राज जेल में गुजारने के बाद उसका स्वास्थ्य बेहद खराब हो गया, फिर उसे 1939 में रिहा कर दिया गया। जेल से रिहा होने के बाद उसे अपस्ताल में भर्ती किया गया लेकिन कई सालों तक वह सार्वजानिक जीवन से दूर रहा और अंततः 25 जनवरी 1947 को दिल की बीमारी और निमोनिया के चलते उसकी मौत हो गई।