दुनिया की सबसे बड़ी एकल एपर्चर रेडियो दूरबीन रविवार से चीन में काम करने लगेगी। 500 मीटर व्यास की इस दूरबीन से ब्रह्रांड के रहस्यों को समझने और सुलझाने में बड़ी मदद मिलने की संभावना है। समझा जाता है कि यह रेडियो दूरबीन विज्ञान के क्षेत्र में चीनी महत्त्वाकांक्षा का नमूना है। यह इस क्षेत्र में अमेरिकी खोजों की बराबरी का एक प्रयास है। इतना ही  हीं, इस रेडियो दूरबीन का लाभ उठाने के लिए विश्वभर से शोधकर्ताओं के चीन पहुंचने की उम्मीद है।साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट में छपी खबर के मुताबिक आधिकारिक रूप से इस दूरबीन का नाम फाइव हंड्रेड मीटर एपर्चर स्फेरिकल टेलीस्कोप (एफएएसटी) रखा गया है और यह गुइजोऊ में है। यह दूरबीन प्यूरतो रिको में स्थित अब तक की सबसे बड़ी एर्सिबो आब्जरबेटरी की जगह लेगी। देखा जाए तो चीनी दूरबीन 30 फुटबाल मैदानों बराबर जगह पर स्थापित की गई है। इस रेडियो दूरबीन में प्यूरतो रिको की एर्सिबो वेधशाला के मुकाबले सुदूर अंतरिक्ष से सिग्नल लेने की क्षमता न सिर्फ ज्यादा है बल्कि यह एलियन के भेजे संकेतक भी ग्रहण कर सकती है।

कोर्नेल यूनिवर्सिटी में अस्ट्रानमी के प्रोफेसर डोनाल्ड केंपबेल ने कहा- खगोल विज्ञान में विशेषकर स्थानीय ब्रह्रांड में अधिक घनत्व के तारों और आकाशगंगाओं के वितरण इत्यादि का अध्ययन करने में यह दूरबीन बहुत ही मददगार साबित होगी। केंपबेल ने कहा कि यह दूरबीन ब्रह्रांड के आकार-प्रकार और उसके इतिहास को जानने-बूझने में उल्लेखनीय योगदान देगी। चीन ने अभी तक इस दूरबीन के उपयोग के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं बताया है। एक अध्ययन वेबसाइट के अनुसार शुरुआत में अध्ययन छह विषयों पर केंद्रित होगा। इसमें आकाशगंगा की संरचना और तारों के निर्माण पर अध्ययन भी शामिल है। लोगों को रेडिएशन से बचाने के लिए भी उपाय किए गए हैं। लोगों को इस स्थान पर पहुंचने के बाद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों मसलन मोबाइल फोन और डिजिटल कैमरों के इस्तेमाल की मनाही होगी।

हांगकांग यूनिवर्सिटी के विज्ञानी स्टीफन नग ची-यंग ने कहा कि चीनी सरकार शोध पर काफी धन खर्च करना चाहती है। इतना ही नहीं, सरकार दुनियाभर के खगोल विज्ञानियों के लिए भी अवसर पैदा करने की इच्छुक है। उन्होंने बताया कि अमेरिका और आस्ट्रेलिया सहित दुनियाभर से खगोल विज्ञानी भविष्य में उन्नत सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए चीन आना चाहेंगे।