महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन हासिल करने में और 70 साल का समय लग सकता है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने रविवार को कहा कि इस समय पुरुषों की तुलना में महिलाओं को औसतन 77 प्रतिशत का वेतन मिलता है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अंतरराष्ट्रीय श्रम आयोग (आइएलओ) ने कहा कि लिंग के आधार पर वेतन में असमानता बई हुई है, ऐसा बच्चे और बिना बच्चों वाली दोनों तरह की महिलाओं के साथ है। आमतौर पर, पुरुष जितना कमाते हैं उसकी तुलना में महिलाएं औसतन 77 प्रतिशत कमाती है और उच्च आयवर्ग की महिलाओं में यह खाई अधिक चौड़ी है।
आइएलओ के निदेशक गाय राइडर ने एक बयान में कहा, ‘20 साल पहले की तुलना में क्या आज कामकाजी महिलाओं की स्थिति बेहतर है? इसका जवाब हां होगा। यह प्रगति क्या हमारी उम्मीदों जैसी है? इसका जवाब होगा, नहीं। बदलाव की बहस में हमें प्रगतिशील होने और महिलाओं को काम के अधिकार सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।’
संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजंसी ने कहा है कि बिना किसी लक्षित कार्रवाई के वर्तमान दर पर महिला और पुरुषों के बीच आय समानता 2086 से पहले या अब से कम से कम 71 साल पहले हासिल नहीं की जा सकती।
वैश्विक स्तर पर, पुरुष और महिलाओं के बीच श्रम बाजार भागीदारी दर में केवल 1995 के बाद से मामूली गिरावट दर्ज की गई है।
इस समय 77 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में कुल महिलाओं में से लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं कामकाजी हैं। 1995 में यह अनुपात क्रमश: 80 प्रतिशत और 52 प्रतिशत का था।
एक अनुमान के मुताबिक, जी-20 देशों में 2025 तक दस करोड़ और महिलाओं के श्रम क्षेत्र में जुड़ जाने का अनुमान है जिसके कारण पुरुष और महिलाओं के बीच भागीदारी का अंतर 25 प्रतिशत तक कम हो सकता है। आज महिलाएं सभी व्यापार में से 30 प्रतिशत से अधिक अपना व्यापार करती हैं लेकिन यह छोटे उद्योग में केंद्रित हैं।
एजंसी ने बताया कि और अधिक सूक्ष्म स्तर पर, वैश्विक स्तर पर 19 प्रतिशत महिलाएं बोर्ड स्तर पर काम कर रही हैं और विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों में केवल पांच प्रतिशत महिलाएं ही सीईओ पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि मातृत्व सुरक्षा में भी सुधार हुआ है और महिलाओं को 14 सप्ताह की छुट्टी या अधिक का मातृत्व अवकाश देने वाले देशों का प्रतिशत अब 38 प्रतिशत से बढ़ कर 51 प्रतिशत हो गया है।
हालांकि, वैश्विक स्तर पर काम करने वाली 80 करोड़ से अधिक महिलाओं में से लगभग 41 प्रतिशत को अभी भी मातृत्व सुरक्षा पर्याप्त रूप से नहीं मिल रही है।