अफगानिस्तान में आए विनाशकारी भूकंप की वजह से 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई, हजारों लोग घायल हुए, इंफ्रास्ट्रक्चर को भी भारी नुकसान पहुंचा। अब इस मुश्किल समय में अफगानिस्तान की मदद करने के लिए भारत आगे आया, रूस ने भी अपनी तरफ से सहायता की, कुछ दूसरे छोटे देश भी आगे आए, लेकिन दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र माने जाने वाला अमेरिका पीछे रह गया। उसकी तरफ से अभी तक आधिकारिक तौर पर अफगानिस्तान के लिए किसी भी तरह की सहायता का ऐलान नहीं किया गया है।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका अभी तक यह फैसला नहीं कर पाया है कि उसे भूकंप के बाद अफगानिस्तान की मदद करनी भी है या नहीं। अमेरिका के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने ही इस बात की पुष्टि की है।

जानकारों का मानना है पिछले कुछ समय में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्राकृतिक आपदा में अमेरिका द्वारा की जाने वाली मदद में भारी कटौती की है। अफगानिस्तान भूकंप के बाद भी यही स्थिति देखने को मिली है।

अब अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने सोमवार को अफगानिस्तान में आए भूकंप पर संवेदना जरूर व्यक्त की थी। लेकिन उसकी तरफ से अभी तक किसी भी तरह की सहायता का ऐलान नहीं किया गया। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी देश में इतने बड़े स्तर पर प्राकृतिक आपदा आए और भारी नुकसान हो तो 24 घंटे के अंदर में ही अमेरिका की तरफ से सहायता राशि का ऐलान किया जाता है।

लेकिन अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप के बाद अमेरिका का रुख कुछ अलग दिखाई दिया और उसकी तरफ से किसी भी तरह की सहायता की घोषणा नहीं हुई। एक अधिकारी ने सिर्फ इतना कहा कि अभी के लिए अमेरिका के पास घोषणा करने के लिए कुछ भी नहीं है।

अब जानकारी के लिए बता दें कि लंबे समय तक अमेरिका की तरफ से अफगानिस्तान को काफी डोनेशन दिया गया है। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ समय पहले ही अफगानिस्तान को दी जाने वाली सहायता रोक दी थी। आंकड़ों में बात करें तो 562 मिलियन डॉलर की मदद अमेरिका की तरफ से रोकी गई थी। यह कदम भी तब उठाया गया जब ऐसा पता चला कि कुछ सामाजिक संगठन कहने को अमेरिका से फंड ले रहे थे, लेकिन बाद में वही पैसा तालिबान को टैक्स, फीस और ड्यूटी के रूप में दे रहे थे।

रॉयटर्स के मुताबिक अमेरिका की अधिकारी ने साफ कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप इस बात को सुनिश्चित करना चाहते हैं किसी भी कीमत पर अमेरिका द्वारा दी गई मदद तालिबान सरकार के हाथों में ना चली जाए जो गलत और अवैध तरीके से अमेरिकी नागरिकों को ही डिटेन कर रही है।

अमेरिका की तरफ से लगातार कम होती मदद पर यूएन के मानवीय मामलों के प्रमुख टॉम फ्लेचर भी नाराजगी और चिंता जता दी है। उन्होंने जोर देकर बोला है जिस तरीके से लगातार संसाधनों में कमी की जा रही है, इससे मानवीय कार्य बहुत बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं, धन की कटौती की वजह से कई स्वास्थ्य ऑपरेशन वाली सेवाएं पूरी तरह तप हो चुकी हैं, हवाई सेवाएं भी इस्तेमाल में नहीं आ पा रही हैं।

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