India Out Campaign Bangladesh: बांग्लादेश के विपक्षी दलों के नेता अपने देश में बायकॉट इंडिया के नाम का मूवमेंट चला रहे हैं। जिस पर भारत ने यह अभियान चलाने वालों करारा जवाब दिया है। साथ ही बांग्लादेश के खिलाफ अपने संबंधों की बात दोहराई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते बेहद मजबूत हैं। हमारे बीच एक बहुत व्यापक साझेदारी है, जो अर्थव्यवस्था से लेकर व्यापार से लेकर निवेश, विकास, सहयोग, कनेक्टिविटी और लोगों से लोगों तक फैली हुई है। ये भारत का अभिन्न अंग है। ये साझेदारी जीवंत है और आगे भी जारी रहेगी।

वहीं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी अपने देश में चलाए जा रहे इस बयान का विरोध किया है। उन्होंने इसके लिए बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेताओं की कड़ी आलोचना की।

पीएम शेख हसीना ने क्या कहा?

हसीना ने विपक्षी दलों के नेताओं की पत्नियों के भारतीय साड़ी पहनने पर भी सवाल उठाए। हसीना ने कहा कि ‘बीएनपी नेता अपने पार्टी कार्यालय के सामने अपनी पत्नियों की भारतीय साड़ियां कब जलाएंगे? जिससे ये तो साबित हो जाए कि वो असल में भारतीय उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं।’

शेख हसीना ने बीएनपी नेताओं को चुनौती देते हुए कहा कि जो नेता इस अभियान में हिस्सा लेकर भारतीय सामान का बहिष्कार कर रहे हैं वो अपनी पत्नियों की भारतीय साड़ियों को क्यों नहीं जला देते? मैं जानना चाहती हूं कि बीएनपी नेताओं की पत्नियों के पास कितनी भारतीय साड़ियां हैं? आप सभी को उनसे पूछना चाहिए। मैं कुछ बीएनपी नेताओं की पत्नियों को जानती हैं जो भारतीय साड़ियां बेचने में शामिल थीं जब उनके पति मंत्री थे।”

हसीना ने कहा कि “जब BNP बायकॉट इंडिया चला ही रही है तो उन्हें अपने घरों में खाना बनाना भी बंद कर देना चाहिए। क्योंकि बांग्लादेश तो भारत से प्याज, अदरक और मसाला आयात कर रहा है। क्या ये नेता इन सबके बिना खाना बना सकते हैं?”

बांग्लादेश में कैसे शुरू हुआ बॉयकाट इंडिया मूवमेंट?

बांग्लादेश में जनवरी में आम चुनाव हुए थे, जिसमें शेख हसीना को लगातार पांचवी बार जीत मिली थी। अब बांग्लादेश के विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि शेख हसीना की जीत में भारत का बहुत बड़ा हाथ था, इसलिए वो भारत का विरोध कर रहे हैं और बायकॉट इंडिया चलाकर भारतीय उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं।

माना यह भी जाता है कि ‘बॉयकॉट इंडिया’ अभियान कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रभावशाली लोगों द्वारा शुरू किया गया है। जिसमें प्रवासी भारतीयों के एक वर्ग से भी समर्थन मिल रहा है। उनका मुख्य तर्क यह है कि हसीना, जो अब प्रधानमंत्री के रूप में अपना लगातार चौथा और कुल मिलाकर पांचवां कार्यकाल पूरा कर रही हैं। उनके लिए भारत का समर्थन नई दिल्ली के व्यावसायिक हितों से प्रेरित है।

एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

हसीना को भारत की करीबी सहयोगी के रूप में जाना जाता है, जबकि बीएनपी को नई दिल्ली के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जाता है। मतभेद कई मुद्दों से उपजे हैं। जिनमें तीस्ता जल विवाद के साथ-साथ सीमा तनाव भी शामिल है । विशेषज्ञों के मुताबिक यह आंदोलन कोई सामाजिक आंदोलन या अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाने का राष्ट्रीय आर्थिक आंदोलन नहीं है, बल्कि भारत विरोधी भावनाएं फैलाने का अभियान है।

भारत से कच्चे माल का आयात करता है बांग्लादेश

बांग्लादेश मुख्य रूप से भारत से औद्योगिक कच्चे माल का आयात करता है। दोनों देशों के बीच व्यापार का एक बड़ा हिस्सा बेनापोल-पेट्रापोल सीमा से होकर गुजरता है और यहां क्लीयरिंग एंड फॉरवर्डिंग (सी एंड एफ) एजेंटों ने भी कहा कि व्यापार पहले की तरह जारी है। उन्होंने कहा कि जहां तीन महीने पहले इस क्रॉसिंग से हर दिन 300 से 350 ट्रक बांग्लादेश में प्रवेश कर रहे थे, वहीं अब कुछ दिनों में यह संख्या 400 से अधिक हो गई है।

BNP में क्या है दुविधा?

जिन बीएनपी नेताओं ने खुले तौर पर अभियान के लिए समर्थन व्यक्त किया है उनमें रिज़वी, मिर्ज़ा अब्बास, गोयिसोर चानरा रे, मोइन खान, रुमिन फरहाना और रकीबुल इस्लाम बोकुल शामिल हैं। हालांकि, पार्टी का रुख अभी तक पुख्ता नहीं हुआ है, बीएनपी के मीडिया सेल के सदस्य शायरुल कबीर खान ने प्रेस को बताया कि पार्टी इस मुद्दे पर चर्चा कर रही है। पार्टी की स्थायी समिति के कुछ सदस्यों का मानना ​​है कि बीएनपी को अभियान में शामिल नहीं होना चाहिए, उनका कहना है कि यह कुछ ऑनलाइन कार्यकर्ताओं का काम है, जो चुनाव के बाद भारत से नाराज हैं।