पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके में सरकार के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन हिंसक हो गया है। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। रविवार दोपहर से पीओके में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। इस समय पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पुलिस और सेना की एक बड़ी टुकड़ी तैनात है। आइए अब जानते हैं कि आखिर पीओके में विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहा है।

पाकिस्तान अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, नागरिक संगठन अवामी एक्शन कमेटी ने सोमवार से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में ‘बंद’ का आह्वान किया है। AAC के एक प्रमुख नेता शौकत नवाज मीर ने मुजफ्फराबाद में कहा, “हमारा अभियान किसी संस्था के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन मौलिक अधिकारों के लिए है जिनसे हमारे लोगों को 70 सालों से भी ज्यादा समय से वंचित रखा गया है। अब बहुत हो गया। या तो अधिकार दिलाओ या फिर जनता के गुस्से का सामना करो।” मीर ने कहा कि सोमवार से बंद सालों से चली आ रही सरकारी उपेक्षा और भ्रष्टाचार के साथ-साथ राजनीतिक संरक्षण और रिश्वतखोरी पर क्षेत्र के संसाधनों की बर्बादी का सीधा जवाब है।

आवामी एक्शन कमेटी के इस विरोध प्रदर्शन को अब व्यापक समर्थन मिल रहा है और वकीलों से लेकर सिविल सोसायटी संगठनों तक कई समूहों ने इसका समर्थन किया है। स्थानीय लोगों ने इस हड़ताल को एक लोकतांत्रिक अधिकार बताया है। अवामी एक्शन कमेटी की ओर से 38 बिंदुओं वाले चार्टर ऑफ डिमांड में कई मांगें रखी गई हैं। इसे वह पाकिस्तान सरकार से पूरा करवाना चाहती है।

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अवामी एक्शन कमेटी ने शहबाज शरीफ सरकार से ये मांगें रखी हैं?

अवामी एक्शन कमेटी ने पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को खत्म करने की मांग की है। एएसी ने हाईड्रोपावर प्रोजेक्ट पर फिर से बातचीत करने का भी आह्वान किया है और कहा कि इनसे स्थानीय समुदायों को फायदा मिलना चाहिए। एएसी ने आटे जैसी जरूरी चीजों पर ज्यादा सब्सिडी देने का भी आग्रह किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि आटे की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। स्थानीय लोगों को बिजली के अत्यधिक बिल चुकाने पड़ रहे हैं। इसलिए, आवामी समिति का कहना है कि बिजली की दरें भी कम की जानी चाहिए।

बैठक में नहीं निकला कोई समाधान

डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने पिछले हफ्ते आवामी एक्शन कमेटी के साथ बातचीत करने की कोशिश की थी। हालांकि, जब बैठक में कोई समाधान नहीं निकला, तो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। बैठक में मौजूद मंत्री ने कहा, “जिन मुद्दों के लिए संवैधानिक संशोधन या विधानसभा के माध्यम से कानून बनाने की आवश्यकता होती है, उन पर बंद कमरे में फैसला नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि बातचीत बेनतीजा रही।” उन्होंने कहा कि कुछ लंबित मुद्दों पर प्रगति हुई है। हालांकि, आगे की बातचीत तब पटरी से उतर गई जब अवामी एक्शन कमेटी के प्रतिनिधियों ने वार्ता के दौरान शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 सीटों को रद्द करने पर अचानक कड़ा रुख अपना लिया।

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