रूस के कामचटका में एक बार फिर भूकंप के जोरदार झटके महसूस हुए हैं, इसकी तीव्रता 7.8 दर्ज की गई है। भूकंप के झटके इतने तगड़े रहे हैं कि सुनामी का अलर्ट जारी कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि 7.8 तीव्रता के भूकंप के बाद पांच आफ्टरशॉक भी महसूस किए गए हैं। सुनामी के अलर्ट के बाद 30 से 62 सेंटीमीटर ऊंची लहरें भी देखी गईं हैं।
क्यों आ रहे रूस में लगातार भूकंप?
अब चिंता की बात यह है कि रूस में पिछले तीन महीने में चार बार सात से ज्यादा तीव्रता का भूकंप आया है। अब लगातार आ रहे भूकंप के कई कारण हैं। जानकार बताते हैं कि रूस के इस क्षेत्र में कई बड़ी जमीन की प्लेटें लगातार एक दूसरे से टकरा रही हैं। यहां भी पैसिफि प्लेट ओखोत्स्क प्लेट के नीचे धंसती जा रही है, इस वजह से सबडक्शन की स्थिति बनती है। जब भी ऐसा टकराव बनता, इससे ज्यादा दबाव भी देखने को मिलता है और जब वही दबाव रिलीज होता है तो भूकंप के तेज झटके महसूस होते हैं। कामचटका को लेकर यह भी कहा जाता है कि यह प्रशांत महासागर के “रिंग ऑफ फायर” क्षेत्र में पड़ता है, यह पूरा ही इलाका ज्वालामुखियों और भूकंपों के लिए जाना जाता है।
कमचटका क्षेत्र में समुद्र के नीचे गहरी खाइयां भी मौजूद हैं, वहां लगातार प्लेटों में हलचल देखने को मिलती हैं। वो हलचल भी समय-समय पर सात से ज्यादा तीव्रता के भूकंप लाती है। वैसे भूकंप के लिहाज से भारत को भी काफी संवेदवशील माना जाता है, चिंता तो इस बात की भी रहती है कि यहां भी सात से ज्यादा तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आ सकता है।
कौन सा भूकंप कितना ताकतवर?
भारत का 59 फीसदी हिस्सा भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है, यहां भी नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच में कुल 159 भूकंप आ चुके हैं। Bureau of Indian Standards (BIS) ने भारत को भूकंप के लिहाज से 4 जोन में बांट रखा है, इसे Seismic Zone भी कहा जाता है।
| Seismic Zone | Risk Level | Major Areas |
| Zone V | Highly active | हिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्व, कच्छ, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह |
| Zone IV | High | दिल्ली, जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्से, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश |
| Zone III | Moderate | महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल |
| Zone II | Low | डेक्कन प्लेट्यू, मध्य भारत |
भूकंप से निपटने के लिए क्या कदम?
अब भारत की तमाम सरकारों को इस बात का अहसास है कि देश में एक तेज तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। ऐसे में कई कदम उठाए गए हैं। उदाहरण के लिए 2014 तक अगर सिर्फ 80 Seismic Observatories रहती थीं, 2025 तक वो आंकड़ा बढ़कर 168 हो चुका है। इसी तरह पूरे देश में Earthquake Early Warning System शुरू करने की तैयारी है। उत्तराखंड में तो साल 2021 में ही Earthquake Early Warning System आ चुका है। जो भी इसकी फाइडिंग होती है, उसे BhuDEV (Bhukamp Disaster Early Vigilante) ऐप पर भेजा जाता है।
अब एक तरफ तकनीक के सहारे भूकंप के खतरों से बचने की कोशिश है तो वहीं दूसरी तरफ लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है। इसी वजह से NDMA ने इस साल मार्च में ही ‘आपदा का सामना’ नाम से एक जागरूकता अभियान शुरू किया था। इसे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया। इसी तरह साल 2016 में पीएम मोदी ने भी भूकंप की गंभीरता को समझा था और एक 10 प्वाइंट एजेंडा तैयार किया था। तब 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए इन कदमो को जरूरी माना गया था। इस लिस्ट में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम शुरू करने से लेकर बीमा पॉलिसी में बड़े बदलाव करना तक शामिल था।
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