पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों पर बढ़ रहे चरमपंथी हमलों की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। अहमदिया मुसलमानों के संगठन जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (JAP) ने दावा किया है कि ताजा मामला अहमदिया समुदाय की 70 साल पुरानी इबादतगाहों को ध्वस्त किए जाने से जुड़ा है। पंजाब प्रांत में पुलिस ने कथित तौर पर धार्मिक चरमपंथियों के दबाव में मस्जिद की मीनारों को तोड़ दिया है। तोड़फोड़ की यह कार्रवाई खानेवाल और गुजरांवाला में हुई है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि अहमदिया कौन होते हैं? इससे पहले इस खबर से जुड़ी कुछ जानकारी हम आपके साथ साझा कर रहे हैं। 

जेएपी के पदाधिकारी ने क्या कहा? 

जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान के वरिष्ठ पदाधिकारी आमिर महमूद ने पीटीआई-भाषा से कहा कि  खानेवाल और गुजरांवाला दोनों जगहों पर पुलिस ने धार्मिक चरमपंथियों के दबाव में आकर अहमदिया समुदाय की इबादतगाहों की मीनारों को ध्वस्त कर दिया और पवित्र शिलालेखों को सीमेंट से ढक दिया है।  उन्होंने कहा कि दोनों इबादतगाहें 1950 के दशक की शुरू में बनाई गई थी।

महमूद ने बताया कि लाहौर हाईकोर्ट के जज तारिक सलीम शेख ने 31 अगस्त 2023 को दिए अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा था कि अहमदिया समुदाय की 1984 से पहले बनी इबादतगाहों को नुकसान पहुंचाना गैरकानूनी है। महमूद ने अदालत के आदेश के खुलेआम उल्लंघन का दावा करते हुए कहा, “हमने लाहौर हाईकोर्ट का आदेश पुलिस को दिखाया लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया गया। पुलिस ने दावा किया कि उन पर धार्मिक लोगों का दबाव है।”  जेएपी ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे अवैध और अधिकारों का दुरुपयोग बताया। 

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कौन होते हैं अहमदिया? 

अहमदिया समुदाय की स्थापना मिर्जा गुलाम अहमद ने पंजाब (भारत) के कादियान में की थी। अहमदिया लोगों का मानना रहा है कि मिर्जा गुलाम अहमद खुद नबी का एक अवतार थे, जो खुद कोई नई शरीयत नहीं लाए लेकिन उनका दर्जा नबी के बराबर था। जबकि बाकी मुसलमान इससे अलग राय रखते हैं और उनका मानना है कि पैगंबर मुहम्मद के बाद कोई नबी नहीं आया है।