Who is Sheikh Hasina: बांग्लादेश में 2 महीने से चल रहे आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना ने सोमवार को पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। हिंसक माहौल के चलते शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। वे सेना के विमान से रवाना हुईं। शेख हसीना की बहन रेहाना भी उनके साथ में हैं। वे बंगाल के रास्ते दिल्ली पहुंच रही हैं।

शेख हसीना का जन्म भारत को आजादी मिलने वाले साल यानी 28 सितंबर 1947 में ढाका में हुआ था। वह बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बड़ी बेटी हैं। पूर्वी बंगाल के तुंगीपाड़ी में ही उन्होंने स्कूल से पढ़ाई-लिखाई की थी। इसके बाद उनका पूरा का पूरा परिवार ढाका में ही शिफ्ट हो गया था। शेख हसीना की शुरुआत से पॉलिटिक्स की कोई भी दिलचस्पी नहीं थी। साल 1966 में वह ईडन महिला कॉलेज में पढ़ रही थी। यही वह समय था जब उनकी राजनीति में दिलचस्पी जगना शुरू हुई थी। वह यहां पर ही स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़कर वाइस प्रेसिडेंट बनी थी। इतना ही नहीं इसके बाद में उन्होंने अपनी पिता की पार्टी आवामी लीग के स्टूडेंट विंग की कमान संभालने का फैसला किया।

1975 में शेख हसीना के परिवार पर आई आफत

आवामी लीग का काम संभालने के बाद साल 1975 उनके और उनके परिवार के लिए बिल्कुल भूचाल की तरह था। सेना ने बगावत कर दी और उनके परिवार के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था। इस लड़ाई में शेख हसीना के पिता मुजीबउर रहमान और मां के अलावा तीन भाइयों की भी हत्या कर दी। उस समय शेख हसीना और उनके पति वाजिद मियां और छोटी बहन की जान बच गई थी। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि जब यह सब हुआ तो वह यूरोप में थी। इसके बाद पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने उन्हें भारत में शरण दे दी थी। वह अपनी बहन के साथ दिल्ली आ गईं थी और यहां पर वह करीब 6 साल तक ठहरीं थी।

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साल 1981 में बांग्लादेश वापस लौटीं

पूर्व पीएम शेख हसीना साल 1981 में अपने वतन बांग्लादेश वापस लौटीं। यहां पर लौटने के बाद उन्होंने अपने पिता की पार्टी को आगे विस्तार देने का फैसला किया। वह पहली बार साल 1986 में आम चुनाव में उतरीं। हालांकि, इस इलेक्शन में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इस समय वह विपक्ष की नेता चुन ली गईं थी। साल 1991 में स्वतंत्र तौर पर इलेक्शन हुए। इसमें भी शेख हसीना के पिता की पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। विपक्ष दल की खालिदा जिया ने सरकार का गठन किया।

साल 1996 में फिर चुनाव हुए। इस बार शेख हसीना की पार्टी भारी भरकम बहुमत से सत्ता में आई और शेख हसीना प्रधानमंत्री बनीं। 2001 के इलेक्शन में उन्हें फिर से हार का सामना करना पड़ा। साल 2009 में उन्होंने पीएम के अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण की। इतना ही नहीं उन्हें साल 2014 में तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री चुना गया। उन्होंने साल 2018 में फिर से जीत हासिल की और चौथे कार्यकाल के लिए पीएम बनीं। बांग्लादेश की पीएम ने पांचवी बार इसी साल शपथ ग्रहण की थी। हसीना की पार्टी ने संसद में लगभग तीन चौथाई सीटें जीत ली थी। वहीं विपक्षी दलों को बाकी सीटें मिली थी।