संयुक्त अरब अमीरात (UAE) स्थित भारतीय नागरिक जुगविंदर सिंह पर अमेरिका ने बैन लगा दिया है। अमेरिका ने भारतीय नागरिक जुगविंदर सिंह बराड़ और उनकी 4 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। यह बैन ईरान के तेल को ट्रांसपोर्ट करने के आरोपों पर लगा है। अमेरिकी वित्त विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय का दावा है कि शिपिंग टाइकून के स्वामित्व वाले कई जहाज ईरान के शैडो फ्लीट के रूप में संचालित होते थे।

अमेरिकी बयान में कहा गया है कि संयुक्त अरब अमीरात और भारत स्थित दो संस्थाओं, जो ईरानी तेल परिवहन करने वाले बराड़ के जहाजों का स्वामित्व और संचालन करती हैं, पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। बयान के अनुसार, “बराड़ के जहाज इराक, ईरान, यूएई और ओमान की खाड़ी के जलक्षेत्र में ईरानी पेट्रोलियम के हाई रिस्क शिप टू शिप ट्रांसफर में लगे हुए थे।” इन कार्गो को फिर अन्य सुविधाकर्ताओं के पास ले जाया गया, जिन्होंने तेल या ईंधन को अन्य देशों के उत्पादों के साथ मिश्रित किया। इस तरह वे ईरान से संबंधों को छिपाने के लिए शिपिंग दस्तावेजों में हेराफेरी कर सकते थे और इस तरह तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच सकता था।

ईरान के साथ कारोबार पर अमेरिका ने बैन लगा रखा है

अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि जुगविंदर सिंह बराड़ कई जहाजों के मालिक हैं और उनके जरिए उन्होंने ईरान के तेल का एक्सपोर्ट और इंपोर्ट किया है। ईरान के साथ कारोबार पर अमेरिका ने बैन लगा रखा है। जुगविंदर सिंह बराड़ ने इसके बाद भी ईरान के साथ डील और कारोबार में साथ रहे इसलिए उन पर एक्शन लिया गया है। अमेरिका की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दो यूएई और भारत स्थित कंपनियों पर बैन लगा है, जो बराड़ के जहाजों का संचालन करती हैं। इन जहाजों से ईरान के तेल को दूसरे देशों में पहुंचाया गया।

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कौन हैं जुगविंदर सिंह बराड़?

ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने कहा कि ईरानी शासन तेल बेचने और उसके माध्यम से अपनी अस्थिरता पैदा करने वाली गतिविधियों की फंडिंग करने के लिए बराड़ और उसकी कंपनियों जैसे बेईमान शिपर्स और दलालों के अपने नेटवर्क पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं कौन हैं जुगविंदर सिंह बराड़?

जुगविंदर सिंह बराड़ यूएई स्थित कंपनियों प्राइम टैंकर्स एलएलसी (प्राइम टैंकर्स) और ग्लोरी इंटरनेशनल एफजेड-एलएलसी (ग्लोरी इंटरनेशनल) के मालिक और निदेशक हैं। वह 30 से अधिक पेट्रोलियम टैंकरों का स्वामित्व, संचालन और प्रबंधन करते हैं, जिनमें से अधिकांश हैंडीसाइज टैंकर हैं जो तटीय जल में रहते हैं और बड़े टैंकरों के माल का कुछ हिस्सा ले जाते हैं।

समुद्र से दूसरे ठिकानों पर तेल इन टैंकरों के जरिए पहुंचाया जाता है। इन छोटे जहाजों के माध्यम से वह ईरान के तेल को लोड करते थे और शैडो फ्लीट की तरह काम करते थे। अमेरिका का दावा है कि जुगविंदर सिंह बराड़ ने ईरान समर्थित हथियारबंद संगठन हूती के साथ भी मिलकर काम किया है।

बराड़ पर आरोप है कि उन्होंने हूती के फाइनेंशियल ऑफिसर की मदद से काम किया

बराड़ पर आरोप है कि उन्होंने हूती के फाइनेंशियल ऑफिसर सैद-अल-जमाल की मदद से काम किया है। जमाल की मदद से ही जुगविंदर सिंह बराड़ ने छोटे-छोटे जहाजों की मदद से माल ढोया। अमेरिका का दावा है कि बराड़ के पास ‘नादिया’ नाम का एक जहाज है। इसकी मदद से तेल की तस्करी की गई और यह पूरा काम ईरान की सेना के आदेश पर होता था। अमेरिका का कहना है कि बराड़ के छोटे जहाजों की खासियत यह है कि उन्हें ट्रैक करना आसान नहीं होता। इनका संचालन बराड़ ने यूएई, ईरान, इराक और ओमान की खाड़ी में किया।

अमेरिका के अनुसार, बराड़ ने अपने फायदे के लिए ऐसा किया क्योंकि प्रतिबंधों के जोखिम के कारण तेल कम कीमतों पर उपलब्ध था। बराड़ के कई जहाज भारत में तेल और गैस टर्मिनलों पर अक्सर बंदरगाहों पर आते रहे हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि बरार ने प्रतिबंधों से बचने के लिए हूती अधिकारी सईद अल-जमाल के अवैध शिपिंग सहयोगियों की मदद ली थी, खास तौर पर फारस की खाड़ी और इराक के खोर अल जुबैर में ईरानी तेल तस्करी को छिपाने के लिए छोटे जहाजों के इस्तेमाल पर। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स