Who is Ghazala Hashmi: अमेरिका के वर्जीनिया प्रांत में भारतीय मूल की गजाला हाशमी लेफ्टिनेंट गवर्नर चुनी गई हैं। राज्य के इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाली गजाला हाशमी पहले मुस्लिम और दक्षिण एशियाई मूल की महिला हैं। गजाला हाशमी ने इस चुनाव में रिपब्लिकन जॉन रीड को करारी शिकस्त दी है। हाशमी को 55.6 प्रतिशत वोट मिले, जबकि रीड को 44.1 प्रतिशत वोट मिले। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपने भाषण में कहा, “यह इस देश और इस राष्ट्रमंडल में उपलब्ध अवसरों की गहराई और व्यापकता के कारण संभव हुआ।” लेकिन गजाला हाशमी कौन हैं? उनका भारत से क्या संबंध है?
हाशमी का जन्म 5 जुलाई 1964 को भारत के हैदराबाद में जिया हाशमी और तनवीर हाशमी के घर हुआ था। उनके पिता प्रोफ़ेसर जिया हाशमी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र हैं। उनकी मां तनवीर हाशमी ने उस्मानिया यूनिवर्सिटी के वुमेन कॉलेज से बीए और बीएड की पढ़ाई पूरी की है। चार साल की उम्र में हाशमी अपनी मां और बड़े भाई के साथ भारत से अमेरिका चली गईं। यहां पर उनके पिता रह रहे थे और उस समय वह इंटरनेशनल रिलेशन में पीएचडी पूरी कर रहे थे।
गजाला ने जॉर्जिया दक्षिणी विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री और अटलांटा में एमोरी यूनिवर्सिटी से अमेरिकी लिटरेचर में पीएचडी की उपाधि हासिल की। गजाला हाशमी ने तीस साल पहले अजहर रफीक से शादी की थी और उनकी दो बेटियां हैं। एक का नाम यास्मीन और दूसरी का नाम नूर है। उनके नाना आंध्र प्रदेश सरकार में कर्मचारी थे। उनका परिवार अभी भी शहर में रहता है और कहती हैं कि उन्हें उनसे बहुत लगाव है।
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प्रोफेसर भी रही हैं गजाला
हाशमी ने लगभग 30 साल एक प्रोफेसर के तौर पर बिताए हैं। पहले रिचमंड विश्वविद्यालय में और फिर रेनॉल्ड्स कम्युनिटी कॉलेज में पढ़ाया। रेनॉल्ड्स कम्युनिटी कॉलेज में हाशमी ने सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन टीचिंग एंड लर्निंग (CETL) की फाउंडिंग डायरेक्ट के रूप में भी काम किया है। लेकिन 2017 में, उनके लिए हालात तब बदल गए जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ मुस्लिम बहुल देशों से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस कदम ने उन्हें सार्वजनिक सेवा यानी राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।
राजनीति में कब आईं गजाला?
वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हाशमी का मानना था कि ट्रंप के कदमों से उन्हें शक हुआ कि क्या अब भी उस देश में उनकी कोई जगह है, जिसे उन्होंने लगभग पूरी जिंदगी अपना घर कहा था। 2019 में उन्होंने रिपब्लिकन ग्लेन स्टुरटेवेंट को एक करीबी मुकाबले में हराकर वर्जीनिया सीनेट में एंट्री की। वह 2023 में फिर से चुनी गईं।
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