व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलाइन लेविट का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। वायरल बयान में उन्होंने हफिंगटन पोस्ट के एक पत्रकार को जमकर लताड़ा है और उसे वामपंथी हैकर होने का आरोप लगा दिया है। दरअसल, हफिंगटन पोस्ट के एक रिपोर्टर ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की होने वाली एक अहम बैठक को लेकर सवाल पूछा था। उसी सवाल के जवाब में कैरोलाइन लेविट ने ऐसा बयान दिया, जिस पर अब नई बहस छिड़ चुकी है।
व्हाइट हाउस प्रवक्ता से क्या सवाल पूछा गया?
जानकारी के लिए बता दें कि आने वाले दिनों में बुडापेस्ट में रूसी राष्ट्रपति पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक को लेकर सीनियर पॉलिटिकल रिपोर्टर SV DTE ने एक संदेश में सवाल पूछा था-“क्या राष्ट्रपति बुडापेस्ट की अहमियत को समझते भी हैं? 1994 में इसी बुडापेस्ट में रूस ने वादा किया था कि अगर यूक्रेन अपने परमाणु हथियारों का सरेंडर कर देगा, तो रूस उसकी जमीन पर कभी कब्जा नहीं करेगा। क्या ट्रंप को नहीं लगता कि यूक्रेन ऐसी किसी भी जगह पर होने वाली बैठक पर आपत्ति दर्ज करवाएगा? आखिर बुडापेस्ट जैसे स्थान का सुझाव किसने दिया?”
व्हाइट हाउस प्रवक्ता ने क्या जवाब दिया?
इसी सवाल पर तीखे अंदाज़ में प्रतिक्रिया देते हुए व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलाइन लेविट ने जवाब दिया- “जगह का सुझाव तुम्हारी मां ने दिया था।” जब उनके इस बयान पर विवाद बढ़ा तो कैरोलाइन लेविट ने सफाई देते हुए सोशल मीडिया पर एक लंबा पोस्ट लिखा। उस पोस्ट में उन्होंने कहा कि यह कथित पत्रकार असल में कोई जर्नलिस्ट नहीं, बल्कि एक वामपंथी एक्टिविस्ट है जो पिछले कई सालों से राष्ट्रपति ट्रंप को निशाना बनाता रहा है। लेविट के मुताबिक वो लगातार उन्हें डेमोक्रेटिक विचारधारा से प्रेरित मैसेज भेजता है। इन संदेशों को देखकर साफ पता चलता है कि वो पत्रकार नहीं बल्कि ट्रंप-विरोधी डायरी लिखने वाला व्यक्ति है।
ट्रंप-पुतिन की मुलाकात कब होनी है?
वैसे जिस मुलाकात की इतनी चर्चा हो रही है उसकी तारीख अभी तक तय नहीं हुई है, लेकिन अनुमान है कि अगले दो हफ्तों के भीतर यह बैठक हो सकती है। इससे पहले 15 अगस्त को अलास्का में भी राष्ट्रपति ट्रंप और पुतिन के बीच एक अहम वार्ता हो चुकी है। वहीं, हाल ही में ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की की भी मुलाकात हुई थी जिसमें युद्ध को लेकर लंबी चर्चा हुई। हालांकि, अब तक किसी ठोस प्रगति के संकेत नहीं मिले हैं।