बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा से जुड़ी खबरें सामने आ रही हैं। रविवार (25 अगस्त) को बांग्लादेश सचिवालय के पास अंसार ग्रुप के सदस्यों और छात्रों के बीच झड़प हुई जिसमें दोनों तरफ से दर्जनों घायल हुए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने और आरक्षण के विरुद्ध भड़की आग शांत होने के बाद, अब क्यों ये हिंसा हुई और अंसार ग्रुप क्या है? हम इस आर्टिकल में यही जानने का प्रयास करेंगे। अंसार ग्रुप को अंसार बाहिनी के नाम से जाना जाता है।

क्या है अंसार बाहिनी?

बांग्लादेश में अंसार बाहिनी गृह मंत्रालय के अंडर में आने वाली एक सिक्योरिटी फोर्स है। बांग्लादेश अंसार विलेज डिफेंस फोर्स को अंसार बाहिनी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धसैनिक सहायक बल है जो बांग्लादेश में आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। अंसार बाहिनी के 60 लाख से ज़्यादा सदस्य हैं। जो तीन मुख्य विभागों- अंसार फोर्स , बटालियन अंसार और ग्राम रक्षा दल (वीडीपी) के तौर पर काम करते हैं।

क्या मांग कर रहे हैं अंसार?

अंसार बाहिनी के सदस्यों ने बुधवार को विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, वह मांग कर रहे हैं कि उन्हें नियमित किया जाए। उनकी लड़ाई जॉब से जुड़े नियमों को लेकर है। जिसमें कहा गया है कि एक अंसार 3 साल तक काम करने के बाद 6 महीने के लिए अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया जाता है और इस दौरान उसे वेतन भी नहीं दिया जाता है। वह चाहते हैं कि इन नियमों को खत्म किया जाए।

आमने-सामने हुए अंसार और छात्र?

बांग्लादेश के नेशनल प्रेस क्लब के बाहर से अंसार बाहिनी की रैली रविवार को शुरू हुई और काफी बड़े हिस्से में फैल गई। अंसार बाहिनी के कर्मचारियों ने सचिवालय में घुसने के कई प्रयास किए लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके। अंसार के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और गृह सलाहकार मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी के साथ दोपहर 3 बजे बैठक हुई। उन्हें भरोसा दिया गया कि नियमों में बदलाव कर दिया जाएगा। इस निर्णय के बावजूद, अंसार सदस्यों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा, जिसके कारण सचिवालय में नाकाबंदी हो गई, जहां कई अधिकारी देर शाम तक वहां से नहीं निकल पाए।

शाम 7:45 बजे गृह सलाहकार की अध्यक्षता में पांच सलाहकारों और 10 अंसार प्रतिनिधियों की एक आपातकालीन बैठक हुई, और रात 9:45 बजे के आसपास झड़पें फिर से शुरू हो गईं, जिसमें दोनों पक्षों के लगभग 40 लोग घायल हो गए। छात्र आंदोलन के नेता हसनत अब्दुल्ला ने फेसबुक पर एक पोस्ट में अंसार फोर्स के पूर्व महानिदेशक मेजर जनरल एकेएम अमीनुल हक को सचिवालय की नाकेबंदी के लिए जिम्मेदार ठहराया, जबकि अंसार के प्रदर्शनकारी सदस्यों की मांगें मान ली गई थीं।