भाजपा सांसद महंत आदित्यनाथ एक्टर शाहरुख खान से खफा थे, क्योंकि उनकी नजर में खान ने जब भारत में असहिष्णुता की बात की तो वह ‘हाफिज सईद की भाषा’ बोल रहे थे। उधर, भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें सलाह दी कि वह पाकिस्तान चले जाएं। उसके जवाब में हाफिज सईद ने ट्वीट किया कि खान का पाकिस्तान में स्वागत है।
निश्चित तौर पर खान को पाकिस्तान चले जाना चाहिए। जब हाफिज सईद न्योता दे रहा हो तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए। कराची की आबोहवा मुंबई से अलग नहीं है। मुंबई की ही तरह यह पाकिस्तान का बिजनेस हब भी है। पाकिस्तान के लिए यह शहर दुधारू गाय की तरह है। ज्यादातर पाकिस्तानी खान को प्यार भी करते हैं। कराची में वह सेलेब्रिटी ही रहेंगे। पर उन्हें कराची में बसने से पहले कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। हालांकि, इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
पहले उन्हें अपने नए पासपोर्ट पर यह बताना होगा कि वह मुसलमान हैं। यह उनके फायदे के लिए होगा क्योंकि ऐसा कर वह ज्यादा सुरक्षित रह पाएंगे। अगर वह खुद को मुसलमान घोषित नहीं करेंगे तो वह मुसीबत में पड़ सकते हैं। इसके बाद उन्हें अपने परिवार के बारे में मामूली जानकारियां देनी होंगी। उन्होंने मुसलमान से शादी की है या हिंदू से? अगर पत्नी हिंदू है तो बच्चों को क्या दर्जा दिया गया है? आखिर नाम तो आसानी से बदला जा सकता है। अब्दुर रहमान और अब्दुल्ला मुसलमानों के पसंदीदा नाम हैं। अगर पत्नी मुसलमान नहीं हुईं तो खान के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। अगर वह हिंदू हुईं तो उन्हें धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बनना होगा और यह धर्म परिवर्तन हाफिज सईद के हाथों हो तो और अच्छा, क्योंकि उन्हें दैवी शक्ति मिली हुई है।
कहते हैं कि दौलत के मामले में खान अमिताभ बच्चन के बाद दूसरे नंबर पर हैं। यह तो उनके लिए अच्छा रहेगा, क्योंकि जकात (दान) देना तो उनके लिए अनिवार्य होगा। इसके बिना वह जन्नत में अच्छी जगह पाने की कैसे सोच सकते हैं। यहां पर एक छोटा सा पेच है। जकात गैर मुसलमानों, खास कर हिंदुओं (जो धर्म परिवर्तन या माइग्रेशन की तमाम कोशिशों के बावजूद कुछ संख्या में कराची में बच गए हैं) को नहीं दिया जा सकता।
कुछ छोटी-मोटी दिक्कतें और हैं। हालांकि, खान धीरे-धीरे इनसे उबर जाएंगे। आखिर पाकिस्तान में उनकी लोकप्रियता जो है। उन्हें बताना होगा कि ऐसी कई फिल्में हैं जिनमें उनका रोल हिंदू आइकॉन का था, ऐसे राजा का था जो गैर हिंदुओं का कत्ल करता है या फिर भारतीय सेना के कमांडो का था, जो पाकिस्तानी मुजाहिदीन को मारता है। और तो और, कुछ किरदारों में उन्होंने मुस्लिम लड़कियों के साथ गलत सलूक भी किया है। एक फिल्म में तो वह खूबसूरत मुसलमान लड़की की खातिर गैरकानूनी तरीके से सीमा लांघ कर लाहौर तक चले गए थे। इन सब की भरपाई शाहरुख अच्छी पाकिस्तानी फिल्में बना कर कर सकते हैं। इन फिल्मों में वह खुद को मुजाहिदीनों के साथ कश्मीर में घुस कर हिंदुओं का कत्ल-ए-आम करते दिखा सकते हैं। तालिबानियों की तरह दाढ़ी (मूंछें नहीं) उनके चेहरे पर जमेगी।
कराची के बारे में कुछ और बातें हैं जो जानना शाहरुख के लिए अच्छा रहेगा। यहां फिरौती का धंधा चलाने वाले अंडरवर्ल्ड का एक तरह से राज है। हालांकि, हम इनसे बहुत जल्द निपट लेंगे और अंडरवर्ल्ड को खत्म कर देंगे, लेकिन यह जान लेना जरूरी है कि पैसे की किल्लत से जूझतीं राजनीतिक पार्टियां भत्ते (फिरौती) पर ही निर्भर हैं। वे ये पैसा 15 आतंकी संगठनों में बांटती हैं। अपहरण दो तरह का चलता है। एक में पीडि़त को वजीरिस्तान ले जाया जाता है, जबकि दूसरे में जब तक पैसा नहीं मिल जाए तब तक ‘शिकार’ को कराची की गलियों में घुमाया जाता है। खान और उनका परिवार तो हाफिज सईद की सुरक्षा में रहेगा। ऐसे में तय है कि देर-सवेर उनका सामना दूसरे टाइप की किडनैपिंग से ही होगा।
खान नि:संदेह पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री को उबार सकते हैं। मुझे यकीन है कि वे इस बात की गारंटी दे सकेंगे कि अश्लील भारत की तरह वह पाकिस्तान में अधनंगी हीरोइनों के साथ नाच-गाना नहीं करेंगे। पाकिस्तानी बड़ी संख्या में उनकी फिल्में देखने जाते हैं। लेकिन जब पर्दे पर ऐसे रोमांटिक सीन आते हैं तो वे चेहरा ढंक लेते हैं।
अगर आप खान जैसे महान हैं तो राजनीति के बारे में क्या खयाल है? मैं तो सुझाव दूंगा कि इमरान खान की तरह राजनीतिक पार्टी बनाइए और भ्रष्टाचार मिटाने का आह्वान कीजिए। हाफिज सईद और एक अन्य संत दाऊद इब्राहिम से अलग, शाहरुख में मैं देखता हूं कि वह कम बोलते हैं। ऐसा नहीं चलेगा।
(लेखक ‘न्यूजवीक पाकिस्तान’ में कंसल्टिंग एडिटर हैं)