अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंध जटिल जरूर हैं लेकिन अंत में ये दोनों देश साथ आ जाएंगे। वित्त मंत्री बेसेंट की यह टिप्पणी उस दिन आई है जिस दिन अमेरिका को निर्यात होने वाले भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लागू हुआ है।

Fox Business को दिए गए इंटरव्यू में स्कॉट बेसेंट ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अच्छे रिश्ते हैं, यह केवल रूसी तेल का मामला नहीं है। मुझे ऐसा लगा था कि मई या जून तक कोई समझौता हो जाएगा। इसके अलावा रूस से कच्चे तेल की खरीद का भी एक पहलू है जिससे वे मुनाफा कमा रहे हैं।”

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वित्त मंत्री ने आगे कहा, “कई लेवल पर बातचीत चल रही है। मुझे लगता है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है। मुझे लगता है कि आखिरकार हम लोग साथ आ जाएंगे। जब व्यापार संबंधों में दरार आती है तो जो देश नुकसान में होता है उसे फायदा होता है।”

रूस से तेल खरीदने को बताया वजह

ट्रंप ने जब भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया था तब यही कहा था कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है और इससे मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल रूस यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कर रहा है। अमेरिका के द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ को भारत पूरी तरह गलत बता चुका है। भारत यह भी कह चुका है कि अमेरिका ने ही भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए कहा था। दूसरी तरफ, ट्रंप ने चीन पर जो रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदता है उस पर किसी तरह का एडिशनल टैरिफ नहीं लगाया। 

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ट्रेड डील को लेकर भारत का सख्त रूख

अमेरिका चाहता है कि भारत ट्रेड डील को लेकर तेजी से बातचीत करे लेकिन भारत कृषि और डेयरी सेक्टर में अमेरिका की ज्यादा पहुंच की मांग को नहीं मानना चाहता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि उनकी सरकार किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी। 

भारत साफ-साफ कह चुका है कि उसे जहां से भी अच्छी डील मिलेगी, वहां से वह तेल खरीदेगा। फरवरी, 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तो भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी दो प्रतिशत से भी कम थी। हमले के बाद जब पश्चिमी देशों ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया तो रूस ने इसमें बड़ी छूट दी। भारत ने इस मौके का फायदा उठाया और कुछ ही महीनों में भारत ने बड़े पैमाने पर रूस से कच्चा तेल खरीदना शुरू कर दिया। 

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