अमेरिका में राष्‍ट्रपति पद के लिए उम्‍मीदवारों के चयन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अभी तक हुए प्राइमरी और कॉकस में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से डोनाल्‍ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से हिेलरी क्लिंटन सबसे मजबूत दावेदार नजर आ रहे हैं। 1 मार्च को ‘सुपर ट्यूस डे’ है, आज के दिन 13 अमेरिकी राज्‍यों में प्राइमरी इलेक्‍शन होना है। जिन प्रांतों में मतदान होना हैं, उनके नाम हैं- अल्‍बामा, अलास्‍का, आरकंसास, कोलोराडो, जॉर्जिया, मैसाच्‍यूसेट्स, ओक्‍लाहोमा, टेक्‍सास, मिनिसोटा, टेन उह सी, वेरमोंट, वर्जिनिया, वायोमिंग। इन 13 राज्‍यों के अलावा एक यूनियन टेरिटरी में भी प्राइमरी चुनाव होना है।

क्‍या है प्राइमरी और कॉकस

अमेरिकी राष्‍ट्रपति पद के लिए वैसे तो चुनाव 8 नवबंर को होना है, लेकिन इसकी शुरुआत आयोवा कॉकस से हो चुकी है। मतलब इस समय दोनों प्रमुख दलों के भीतर राष्‍ट्रपति पद की उम्‍मीदवारी के लिए चुनाव चल रहा है। अमेरिका में पार्टियां जनता और कार्यकर्ताओं के चुने हुए उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारती हैं यानी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दो प्रमुख चरण हैं प्राइमरी-कॉकस और फिर इलेक्शन डे। चलिए पहले प्राइमरी और कॉकस इलेक्शन को समझते हैं।

अमेरिका में पहले चरण का चुनाव दो तरीकों से होता है, पहला- प्राइमरी, और दूसरा कॉकस। प्राइमरी ज्यादा परंपरागत तरीका है और अधिकतकर राज्यों में इसे ही अपनाया जाता है। इसमें लोग वोट डालकर पार्टी को बताते हैं कि उनकी पसंद का उम्मीदवार कौन है। कॉकस में ज्यादातर पार्टी के पारंपरिक वोटर ही हिस्सा लेते हैं और डेलीगेट्स चुनकर भेजते हैं, जो कि उम्‍मीदवार को नॉमिनेट करते हैं। कॉकस प्रक्रिया अमेरिका के 10 राज्‍यों में अपनाई जाती है। जिनके नाम हैं- आयोवा, अलास्‍का, कोलार्डो, हवाई, कन्‍सास, मैनी, नेवाडा, नॉर्थ डैकोटा, मिनीसोटा, वायोमिंग।

अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव की रेस आयोवा प्रांत में कॉकस से ही शुरू होती है। इसके अलावा अन्‍य 40 राज्‍यों में प्राइमरी प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसके तहत वोटर्स मतदान करते हैं और अपनी पसंद का उम्‍मीदवार चुनते हैं। प्राइमरी इलेक्शन में कैसे होता है मतदान और चुनाव? जैसा कि हमने पहले बताया कि प्राइमरी इलेक्शन दो तरीकों से होता है। एक प्राइमरी और दूसरा कॉकस। प्रत्येक राज्य के मतदाता अपने-अपने उम्मीदवार के डेलीगेट के नाम से वोट देते हैं और फिर वे डेलीगेट्स अपनी-अपनी पार्टी के नेशनल कन्वेंशन में एकत्रित होते हैं और सभी राज्यों से जिस प्रत्याशी के डेलीगेट ज्यादा होते हैं उसे उम्मीदवार घोषित कर दिया जाता है।

क्‍या है ‘सुपर ट्यूस डे’

अमेरिका में जब भी राष्‍ट्रपति चुनाव होते हैं, तब सुपर ट्यूस डे यानी 1 मार्च को मतदान जरूर होता है। यह इसलिए भी खास है, क्‍योंकि इस दिन एक साथ कई राज्‍यों में प्राइमरी इलेक्‍शन होता है। साफ शब्‍दों में कहें तो राष्‍ट्रपति पद की उम्‍मीदवारी के लिए अपनी-अपनी पार्टियों में चुनाव लड़ने वालों के लिए यह निर्णायक दिन होता है। 2008 में 24 राज्‍यों में प्राइमरी इलेक्‍शन हुआ था। इस बार एक साथ 14 राज्‍यों में वोट डाले जाएंगे, यानी इसी दिन तय हो जाएगा कि रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उम्‍मीदवार कौन होगा और डेमोक्रेट्स के किस नेता पर दांव लगाएंगे।

डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्‍मीदवारी हासिल करने के लिए प्रत्‍याशी को 4,763 डेलिगेट्स में से 2,382 का समर्थन हासिल करना होगा। इसी प्रकार से रिपब्लिकन पार्टी की उम्‍मीदवारी हासिल करने के लिए 2,472 में से 1,236 डेलिगेट्स का समर्थन हासिल करना होगा।

प्राइमरी और कॉकस समाप्‍त हो जाने के बाद जुलाई में रिपब्लिकन पार्टी क्‍लीवलेंड में अपनी नेशनल कन्‍वेंशन की बैठक बुलाएगी, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी फिलाडेल्फिया में। इसी नेशनल कन्‍वेंशन में दोनों दल अपने-अपने राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार के नाम की घोषणा कर देंगी। उम्‍मीदवारों के चयन के बाद 14 जून तक राष्‍ट्रपति पद के प्रत्‍याशी नामंकन दाखिल कर देंगे और फिर शुरू होगा चुनाव प्रचार। 8 नवंबर को इलेक्‍शन डे होगा, जिसमें जनता वोट डालेगी।

फिर कैसे होगा अमेरिकी राष्‍ट्रपति का चुनाव?

इलेक्शन डे : अमेरिकी चुनते हैं इलेक्टर्स? रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी प्राइमरी इलेक्शन के जरिए अपने अपने उम्मीदवार चुनते हैं और पार्टी की नेशनल कन्वेंशन में अधिकारिक रूप से अपने अपने प्रत्याशियों का ऐलान करते हैं। आमतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का प्राइमरी इलेक्शन फरवरी से मार्च के बीच होता है और फिर कुछ सप्ताह बाद ही पार्टिंया उम्मीदवार का ऐलान कर देती हैं। यहां से चुनाव प्रचार शुरू होता है और फिर इलेक्शन डे आता है। इस बार अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव 8 नवंबर को होना है। आमतौर पर नवंबर के पहले सप्‍ताह में ही राष्‍ट्रपति पद के लिए चुनाव होता है।

तो कौन चुनता है राष्ट्रपति?

अपनी-अपनी पार्टी में उम्मीदवारी की रेस जीतने के बाद दोनों प्रत्याशी इलेक्शन डे पर आमने-सामने आते हैं और जनता उन्‍हें वोट देती है। इलेक्शन डे के मतदान का तरीका भी प्राइमरी के जैसा ही है। जैसे वहां डेलीगेट चुने जाते हैं ठीक वैसे ही इलेक्शन डे में इलेक्टर्स चुने जाते हैं। इसे इलेक्टोरल कोलाज कहा जाता है यानी ऐसा समूह, जिसे अमेरिकी जनता चुनती है और फिर वो राष्ट्रपति की जीत का ऐलान करते हैं। अमेरिकी इलेक्ट्रोरल कोलाज में 538 इलेक्टर्स होते हैं। अब सवाल ये आता है कि ये संख्या 538 ही क्यों है, दरअसल ये संख्या अमेरिका के दोनों सदनों की संख्या का जोड़ है। अमेरिकी सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स यानी प्रतिनिधि सभा और सीनेट का जोड़ है। प्रतिनिधि सभा में 435 सदस्य होते हैं, जबकि सीनेट में 100 सांसद। इन दोनों सदनों को मिलाकर संख्या होती है 535। अब इसमें 3 सदस्य और जोड़ दीजिए और ये तीन सदस्य आते हैं अमेरिका के 51वें राज्य कोलंबिया से। इस तरह कुल 538 इलेक्टर्स अमेरिकी राष्ट्रपति चुनते हैं। प्रत्येक राज्य से उतने ही इलेक्टर्स चुने जाते हैं, जितने उस राज्य से प्रतिनिधि सभा और सीनेट के सदस्य होते हैं। इस तरह 538 इलेक्टर्स से बनता है इलेक्टोरल कोलाज। इलेक्शन डे यानी 8 नवंबर को अमेरिकी मतदाता अपने-अपने उम्मीदवार के समर्थन वाले इलेक्टर्स के पक्ष में मतदान करेंगे। राष्‍ट्रपति की जीत के लिए 270 का जादुई आंकड़ा चाहिए होता है।

मतदान के बाद क्या होगा?

अमेरिकी मतदाता जब वोट देने जाएंगे तो उन्हें जो बैलेट पेपर यानी मतपत्र मिलेगा उस पर रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के इलेक्टर्स को वोट देने का विकल्प होगा। जब जनता जब वोट कर देगी तो फिर सभी 538 इलेक्टर्स बैठेंगे और अपने अपने क्षेत्र के वोटरों के फैसले के अनुसार वे उम्‍मीदवार के पक्ष में वोट देंगे। जिसे भी 270 से ज्‍यादा वोट मिलेंगे वही अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुन लिया जाएगा।

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