अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पर्यावरण सजगता को लेकर भारत और चीन की आलोचना की है। ट्रंप ने कहा है कि दोनों देशों का समुद्र से बहाया कचरा लॉस एंजलिस तक आ रहा है। उन्होंने कहा कि वह क्रिस्टल क्लीन हवा चाहते हैं लेकिन भारत और चीन इसमें बाधा पैदा कर रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि चीन, भारत और रूस जैसे कई देश धुएं और अपने प्लांट से निकलने वाले प्रदूषण को साफ करने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं। इससे लॉस एंजिलस की समस्याएं और बढ़ रही हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और चीन समुद्र में बहने वाले औद्योगिक कचरे और उद्योगों से निकले धुएं के निपटारे के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे। जलवायु परिवर्तन को उन्होंने ‘बहुत जटिल मुद्दा’ करार देते हुए कहा कि वह खुद को एक पर्यावरणप्रेमी मानते हैं।’

उन्होंने इकॉनामिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क में कहा ‘कोई यकीन करें या फिर न करे लेकिन मैं खुद को पर्यावरणप्रेमी मानता हूं। मैं पर्यावरण के बारे में बहुत सोचता हूं। मैं जलवायु परिवर्तन को लेकर गंभीर हूं। मैं पृथ्वी पर साफ हवा चाहता हूं। मैं हमारी धरती पर साफ पानी चाहता हूं।’

पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होने के फैसले पर हो रही आलोचनाओं पर उन्होंने कहा कि ‘अमेरिका इस समझौते से इसलिए दूर हो गया क्योंकि ‘एकतरफा’, खतरनाक, आर्थिक रूप से अनुचित था। पेरिस जलवायु समझौते ने अमेरिकी नौकरियों को खत्म किया। यह समझौता अमेरिका के लिए ‘त्रासदी’ था।

मालूम हो कि अमेरिका ने पेरिस जलवायु समझौते से खुद को 2015 में अलग कर लिया था। दिसंबर 2015 में कई दिनों की गहन बातचीत के बाद पेरिस जलवायु समझौते की नींव रखी गई थी। 195 देश इसके लिए राजी हुए थे। भारत ने 2016 में इसके लिए हामी भरी थी। भारत से पहले 61 देश इस समझौते के लिए राजी हो चुके थे जो कि करीब 48 प्रतिशत कार्बन का उत्सर्जन करते हैं।