अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क के एक कॉन्ट्रैक्टर पर 3.1 मिलियन डॉलर यानी करीब 20 करोड़ रुपए का भारी भरकम जुर्माना लगाया गया है। आरोप हैं कि उसने गलत ढंग से सरकारी पैसे से होने वाले एक काम का ठेका एक भारतीय कॉन्ट्रैक्टर को दिया। फोकस्ड टेक्नोलॉलीज इमेजिंग सर्विसेज के मालिक चार्ल्स टोबिन और पूर्व को-ओनर जूली बेनवेयर जुर्माने की यह रकम भरने के लिए तैयार हो गए हैं। उनके और न्यूयॉर्क स्टेट अटॉर्नी जनरल एरिक श्नाइडरमेन के बीच इसे लेकर समझौता हुआ। इससे पहले, बेनवेयर और श्नाइडरमेन ने माना कि उन्होंने 2008 और 2009 में गैरकानूनी ढंग से मुंबई के एक छोटे ठेकेदार को सौंप दिया। अधिकारियों का कहना है कि भारतीय कंपनी को इस बारे में जानकारी नहीं थी कि उन्हें यह काम गैरकानूनी ढंग से मिला है। अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय कंपनी ने जांच में पूरा सहयोग किया।
2008-2009 में द न्यूयॉर्क इंडस्ट्रीज फॉर द डिसेबल्ड और द न्यूयॉर्क डिविजन ऑफ क्रिमिनल जस्टिस सर्विसेज ने 3.45 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट फोकस्ड टेक्नोलॉलीज को दिया। इन्हें 2 करोड़ 20 लाख फिंगर प्रिंट कार्ड्स का सर्च किए जा सकने लायक डेटाबेस बनाना था। इन कार्ड्स में अमेरिकी नागरिकों के सोशल सिक्युरिटी नंबर, डेट ऑफ बर्थ, शारीरिक पहचान से जुड़े लक्षणों जैसी अहम निजी जानकारियां थीं। फोकस्ड ने भारतीय कंपनी को 82 हजार डॉलर देकर अक्टूबर 2008 से सितंबर 2009 के बीच यह डेटाबेस बनवाया। अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि भारतीय कंपनी या इसके किसी कर्मचारी को यह जानकारी थी कि उन्हें यह काम गलत ढंग से मिला है। अधिकारियों के मुताबिक, यह आउटसोर्सिंग इसलिए अवैध है क्योंकि अमेरिकी कंपनी ने एक करोड़ 60 लाख से ज्यादा अमेरिकी लोगों की निजी जानकारी मुंबई की कंपनी को भेज दी। फोकस्ड का यह काम इसलिए भी गलत था क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक इसे पूरा करने में 50 फीसदी काम के घंटे शारीरिक तौर पर अक्षम लोगों के जरिए होना था। फोकस्ड के पूर्व ओनर श्नाइडरमेन का कहना है कि भारतीय कंपनी ने कॉन्ट्रैक्ट का सिर्फ 37.5 फीसदी हिस्सा ही किया।

