अमेरिका और अफगानिस्तान के आतंकी गुट तालिबान के बीच शनिवार को शांति समझौता हुआ। तालिबान यदि समझौते का पालन करता है तो अमेरिका और इसके सहयोगी 14 महीने के भीतर अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लेंगे। वाशिंगटन और काबुल ने शनिवार को संयुक्त बयान में यह बात कही। इस समझौते के बाद अमेरिका अपनी सेना को बाहर निकालना शुरू कर सकता है। वार्ता के दौरान अमेरिका विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने तालिबान से अल-कायदा के साथ संबंध खत्म करने का वादा निभाने का आग्रह किया। अमेरिका और तालिबान के बीच यह ऐतिहासिक समझौता कतर की राजधानी दोहा में हुआ।

घोषणा में कहा गया कि शनिवार को समझौते पर हस्ताक्षर होने के 135 दिन के भीतर आरंभिक तौर पर अमेरिका और इसके सहयोगी अपने 8,600 सैनिकों को वापस बुला लेंगे। इसमें कहा गया कि इसके बाद ये देश ‘‘14 महीने के भीतर अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लेंगे।’’ वहीं अफगान समझौता प्रतिनिधिमंडल अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल तालिबान के साथ समझौता करने के लिए दोहा पहुंच चुका है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगान लोगों से नया भविष्य बुनने के मौके का लाभ उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस समझौते से 18 साल के लंबे संघर्ष के खत्म होने की उम्मीद है। अमेरिका में 2020 में राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। ट्रंप ने पिछले चुनाव प्रचार में दो दशकों से अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी फौज की वापसी के सवाल को बड़ा मुद्दा बनाकर इसे भुनाया था। लेकिन चुनाव से पहले ट्रंप को इस शांति करार के बाद जनता के बीच भुनाएंगे।

मालूम हो कि 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने 2001 में तालिबान के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। इसके लिए अमेरिका ने भारी संख्या में अपने सैनिक अफगानिस्तान भेजे। इस दौरान अमेरिका के भी 2 हजारे से ज्यादा सैनिक मारे गए। अमेरिका काफी समय से अपने सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी चाहता था लेकिन इसपर तालिबान से बात नहीं बन पा रही थी।