Turkiye Election 2023: रेचेप तैय्यप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने एक बार फिर तुर्की का चुनाव जीत लिया है। वह लगातार 11वीं बार तु्र्की के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। रेचेप तैय्यप एर्दोगन को विपक्षी नेता कमाल केलिकदारोग्लू से कड़ी टक्कर मिली। 14 मई को हुए चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल नहीं हुए थे। इसके बाद रन-ऑफ दौर कराना पड़ा। 28 मई को हुए रन-ऑफ दौर में एर्दोगन ने बाजी मार ली है।

बता दें कि 14 मई को हुए चुनाव में एकेपी (जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी) के मुखिया एर्दोगन पहले राउंड में चुनाव जीतते-जीतते रह गए थे और उन्हें 49.4% वोट मिले। वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी कलचदारलू को 45% वोट मिले थे। तुर्की में अगर किसी उम्मीवार को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो दो सप्ताह के भीतर दो सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवारों के बीच रन ऑफ राउंड कराया जाता है।

लगातार 20 साल से राष्ट्रपति हैं एर्दोगन

एर्दोगन पिछले 20 साल से तुर्की के राष्ट्रपति हैं। वह साल 2003 से ही देश का नेतृत्व कर रहे हैं। एर्दोगन के पिछले राष्ट्रपति चुनाव जीतने के एक महीने बाद जुलाई 2018 में तुर्की में संसदीय व्यवस्था के बजाय राष्ट्रपति शासन प्रणाली लागू कर दी गई। इसके बाद 2017 में जनमत संग्रह कराया गया। इसमें राष्ट्रपति की शक्तियों में भारी इजाफा कर दिया गया था। इसके बाद एर्दोगन ने प्रधानमंत्री का पद समाप्त कर दिया और प्रधानमंत्री की कार्यकारी शक्तियां अपने हाथ में ले ली थी। रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने इस बार राष्ट्रपति चुनाव में लोगों से कई तरह के वादे भी किए थे, जिनमें भूकंप से प्रभावित इलाकों में 6 लाख 50 हजार नए घर बनाना, महंगाई दर को घटाकर 20 फीसदी तक लाना, जो अभी फिलहाल 44 फीसदी है।

कलचदारलू हार चुके हैं कई चुनाव?

कलचदारलू तुर्की के छह विपक्षी पार्टियों से मिलकर बने रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी नेशन अलायंस के उम्मीदवार हैं। तुर्की में वह काफी चर्चित चेहरा माने जाते हैं। उन्होंने इससे पहले भी कई चुनाव लड़े हैं लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गांधीवादी कलचदारलू को तुर्की में ‘कमाल गांधी’ भी कहा जाता है। उन्होंने चुनाव से पहले लोगों से वादा किया था कि अगर वो सत्ता में आते हैं तो तुर्की एर्दोगन की तरह रुढ़िवादी नहीं बल्कि उदारवादी नीति अपनाएगा।