Turkey Earthquake: तुर्की और सीरिया भूकंप से आयी तबाही के बाद मरने वाले लोगों का आंकड़ा 40 हजार के पार पहुंच गया है। यह जानकारी तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने साझा की है। तैयब एर्दोआन ने कहा है कि पिछले सप्ताह आए भूकंप के कारण देश में अब तक 35 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। तुर्की में आया यह भूकंप इतना खतरनाक था कि इससे प्रभावित हिस्सा दुनिया से कई तरह से कट सा गया है। ट्रांसपोर्ट से लेकर इंटरनेट और कम्यूनिकेशन के हर रास्ते टूट गए हैं।

इन हालात में भारत ने तुर्की को ज्यादा से ज्यादा मदद पहुंचाई है। क्या आपने गौर किया कि भारत की ओर से भेजे गए एनडीआरएफ़ के जवान किस तरह तुर्की के उन शहरों से भारत में संपर्क कर पा रहे होंगे जहां इस तरह का हर माध्यम टूट चुका है। आइए जानते हैं भारतीय जवानों ने इसका क्या अनूठा रास्ता खोज निकाला है।

क्या है ‘संचार डिवाइस’ ?

तुर्की में मौजूद एनडीआरएफ़ के जवान काफी मुस्तैद नजर आ रहे हैं। भारत की इस मदद का तुर्की ने भी इस्तकबाल करते हुए शुक्रिया अदा किया है। इस दौरान भारतीय जवान कैप्टन करण सिंह और सब पीजी सापरे सहित सेना की एक टीम ने एक नेटवर्क-स्वतंत्र, रीयल टाइम ट्रैकिंग और मैसेजिंग मॉड्यूल- ‘संचार’ विकसित किया है।

जिसका उपयोग सभी रक्षा बलों और अर्धसैनिक बलों द्वारा युद्ध क्षेत्र में अपनी टीम के सदस्यों और संपत्तियों को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। यह डिवाइस भारतीय सैनिकों को ऑन-फील्ड बहुत मदद पहुंचा रही है। सेना के जवानों ने यह तकनीक खुदसे इजाद की है। जिसके जरिए लोकेशन का पता लगाने, स्थिति का जायजा लेने और इमरजेंसी की स्थित में काफी मदद मिल रही है।

डॉग स्क्वाड कर रहा है काफी मदद

तुर्की में आए इस विनाशकारी भूकंप के बाद भारत मदद पहुंचाने वाले देशों की पहली फेहरिस्त में मौजूद था। जहां भारतीय जवान लगातार राहत कार्यों में जूते हैं वहीं एनडीआरएफ़ की इस टीम को कई ऐसी सफलताएं भी मिली हैं जिसमें कई लोगों की जान बचाई गयी है। भूकंप के इतने दिन गुजर जाने के बाद भी लोगों को मलबे से निकाला जा रहा है।

इस दौरान कमांडेंट गुरमिंदर सिंह ने एक बयान दिया था कि इस बचाव के दौरान हमारी सारी सफलता उन चार कुत्तों की बदौलत है, जिन्हें हम यहां लाए हैं। ऐसे ही बचाव के कार्य के दौरान  एनडीआरएफ टीम ने मृतकों की तलाश के लिए कंक्रीट स्लैब में ड्रिलिंग छेद करने के दौरान अपने कुत्ते जूली के भौंकते हुआ तीन मंजिला इमारत के मलबे की तरफ लपकते देखा।

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बचाव दल ने उसका पीछा किया और लगभग तीन घंटे बाद की कड़ी मशक्कत के बाद सब खुशी से एक साथ चीख पड़े,’यहां एक बच्चा जीवित है।’ इस ही तरह सेना ने कई लोगों को मलबे से बाहर निकालने में सफलता हासिल की है।