एशिया और यूरोप में पड़ने में वाला एक मात्र देश तुर्की अब तुर्किए नाम से जाना जाएगा। देश का नाम बदलने के लिए राजधानी अंकारा की ओर से भेजे गए अधिकारिक अनुरोध को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने मंजूरी दे दी है। तुर्की की रीब्रांडिंग करने के लिए पिछले साल राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) की ओर से एक कैंपेन लॉन्च किया गया था, जिसके बाद सरकार दस्तावेजों और तुर्की के लोगों की ओर से तुर्किए शब्द का प्रयोग किया जाने लगा। यानि अब तुर्की को अधिकारिक रूप से तुर्किए कहा जायगा। सरकार ने देश में बने सामान पर ‘Made in Turkey’ की जगह ‘Made in Türkiye’ लिखने का आदेश भी दे दिया है।
एक पक्षी के कारण बदलना पड़ा नाम: तुर्की से तुर्किए किये जाने की बड़ी वजह एक पक्षी को माना जा रहा है, जिसका नाम टर्की (Turkey) है। इस पक्षी को बड़ी संख्या में नार्थ अमेरिकी लोगों के द्वारा थैंक्स गिविंग डे या फिर क्रिसमस पर खाया जाता है जो तुर्की लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इसे तुर्की का नाम बदलने के पीछे का एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
इससे पहले भी तुर्की का नाम बदलने की कोशिश की गई है। 1980 के दशक के मध्य में तत्कालीन प्रधानमंत्री तुर्गट ओजाल ने भी ये प्रयास किया था, लेकिन वह ऐसा करने में असफल हुए थे।
कोलोनियल पीरियड में नाम का हुआ अंग्रेजीकरण: तुर्की के सरकारी मीडिया टीआरटी वर्ल्ड का कहना है कि तुर्की एक अंग्रेजी शब्द है जिसे 1300 के बाद पश्चिमी सभ्यता के द्वारा उनके देश के लिए उपयोग किया जा रहा है जिसका कैंब्रिज इंग्लिश डिक्शनरी में मतलब होता है जो व्यक्ति बार-बार विफल होता है। वहीं तुर्किए उनके देश के नाम का एक तुर्किश वर्जन है।
तुर्कीए के विश्लेषक इस नाम बदलने को आने वाले चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि राष्ट्रपति एर्दोगन ये सब करके जनता को असली मुद्दों से भटकाने चाहते हैं। यह सब ऐसे समय पर किया जा रहा है जब देश में महंगाई दर 70 फ़ीसदी से ऊपर पहुंच चुकी है और लोग सड़कों पर प्रदर्शन पर कर रहे हैं।