रूस के कामचटका इलाके में भूकंप के तेज झटके महसूस हुए हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7.1 रही है। भूकंप के बाद पैसिफिक सुनामी वार्निंग सिस्टम ने संभावित सुनामी की बात कही है और इसे पूरे क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा बता दिया है। अब यह कोई पहली बार नहीं है जब रूस के कामचटका द्वीप में भूकंप के तेज झटके महसूस किएग गए हों, पहले भी शक्तिशाली भूकंप आ चुके हैं।

इस बार भूकंप की समुद्र की सतह से 10 किलोमीटर की गहराई रही थी, इसी वजह से लोगों को झटके ज्यादा तेज महसूस हुए। वैसे यह वही क्षेत्र है जहां पर इससे पहले 8.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप भी आ चुका है। 1952 में तो कामचटका में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था, उसके बाद सुनामी ने भी पूरे क्षेत्र में भयंकर तबाही मचाई थी। वैसे कुछ दिन पहले अफगानिस्तान में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे, 2000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।

अब भूकंप के लिहाज से तो भारत को भी संवेदनशील माना जाता है। लोगों के मन में हमेशा डर बना रहता है कि क्या देश एक शक्तिशाली भूकंप का सामना कर भी पाएगा या नहीं? कौन सा भूकंप कितना ताकतवर? भारत का 59 फीसदी हिस्सा भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है, यहां भी नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच में कुल 159 भूकंप आ चुके हैं। Bureau of Indian Standards (BIS) ने भारत को भूकंप के लिहाज से 4 जोन में बांट रखा है, इसे Seismic Zone भी कहा जाता है।

Seismic ZoneRisk LevelMajor Areas
Zone VHighly activeहिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्व, कच्छ, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह
Zone IVHighदिल्ली, जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्से, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश
Zone IIIModerateमहाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल
Zone IILowडेक्कन प्लेट्यू, मध्य भारत

भारत में वैसे तो कई मौकों पर भूकंप आए हैं, लेकिन दो सबसे भीषण माने जाते हैं। उनमें कई लोगों की जान गई थी, इमारतों को भारी नुकसान हुआ था।

सालजगहतीव्रतामौतें
1905कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश819,800
2001भुज, गुजरात7.912,932

भूकंप से निपटने के लिए क्या कदम?

अब भारत की तमाम सरकारों को इस बात का अहसास है कि देश में एक तेज तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। ऐसे में कई कदम उठाए गए हैं। उदाहरण के लिए 2014 तक अगर सिर्फ 80 Seismic Observatories रहती थीं, 2025 तक वो आंकड़ा बढ़कर 168 हो चुका है। इसी तरह पूरे देश में Earthquake Early Warning System शुरू करने की तैयारी है। उत्तराखंड में तो साल 2021 में ही Earthquake Early Warning System आ चुका है। जो भी इसकी फाइडिंग होती है, उसे BhuDEV (Bhukamp Disaster Early Vigilante) ऐप पर भेजा जाता है।

अब एक तरफ तकनीक के सहारे भूकंप के खतरों से बचने की कोशिश है तो वहीं दूसरी तरफ लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है। इसी वजह से NDMA ने इस साल मार्च में ही ‘आपदा का सामना’ नाम से एक जागरूकता अभियान शुरू किया था। इसे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया। इसी तरह साल 2016 में पीएम मोदी ने भी भूकंप की गंभीरता को समझा था और एक 10 प्वाइंट एजेंडा तैयार किया था। तब 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए इन कदमो को जरूरी माना गया था। इस लिस्ट में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम शुरू करने से लेकर बीमा पॉलिसी में बड़े बदलाव करना तक शामिल था।