टीपू सुल्तान को लेकर अब पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी विवाद उठ खड़ा हुआ है। पाकिस्तान सरकार ने मैसूर के पूर्व शासक को उनकी पुण्यतिथि पर याद करने के साथ तारीफ भी कर दी। इसके बाद अपने लोगों ने ही सरकार की आलोचना शुरू कर दी। पाकिस्तान सरकार ने ट्वीट किया, ‘ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण और प्रभावी विभूति टाइगर ऑफ मैसूर के नाम से मशहूर टीपू सुल्तान को उनकी पुण्यतिथि पर याद करना अच्छा है। वह शुरुआती वर्षों में ही युद्धकला में प्रशिक्षित हो गए थे। उनमें सीखने की भी ललक थी।’ सरकार का ट्वीट सामने आते ही पाकिस्तानी लोग टूट पड़े और अपनी ही सरकार को गालियां तक देने लगे। एक शख्स ने ट्वीट किया, ‘…तो हमलोग भारतीय महाराजाओं का महिमामंडन कर सकते हैं, लेकिन अपने देश की महान हस्तियों की नहीं। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एल्विन बॉबी रॉबर्ट कॉर्नेलिस आज भी हमारे गुड बुक में हैं।’ एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, ‘पाकिस्तानियों का दूसरे देशों के हवाई अड्डों कपड़े उतारे जाते थे। मैं पहली बार देख रहा हूं कि अब इतिहास में भी वे लोग अपने कपड़े खुद उतार रहे हैं।’ सोनम महाजन ने ट्वीट किया, ‘अपने भारतीय सहयोगी की मदद करने के लिए पाकिस्तान ने कर्नाटक चुनाव में आधिकारिक तौर पर प्रवेश कर लिया है। उसने टीपू सुल्तान का महिमामंडन कर भारतीय मुसलमानों को गुपचुप संदेश दे दिया कि उसी पार्टी के पक्ष में मतदान करो जो टीपू सुल्तान का उत्सव मनाता है।’
Revisiting an important & influential historical figure, Tiger of Mysore – Tipu Sultan on his death anniversary. Right from his early years, he was trained in the art of warfare & had a fascination for learning. #TipuSultan pic.twitter.com/Izts0HKdgD
— Govt of Pakistan (@pid_gov) May 4, 2018
Pakistan makes an official entry into Karnataka election campaign to help its Indian ally. Glorifies Tipu Sultan suddenly to send a silent message to the Indian Muslims to vote for the party that celebrates Tipu Sultan.
Did someone seek Pakistan's help in desperation? pic.twitter.com/xSvvYsfhTz
— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) May 4, 2018
टीपू सुल्तान को 18वी सदी के प्रभावशाली शासकों में से एक माना जाता है। उन्हें टाइगर ऑफ मैसूर के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 20 नवंबर, 1750 को हुआ था। उनके पिता हैदरअली भी मैसूर के प्रभावी शासकों में से एक थे। टीपू सुल्तान का निधन 4 मई, 1799 को श्रीरंगपट्टनम में हुआ था। उनकी मौत के साथ ही अंग्रेजों ने मैसूर स्टेट को भी अपने आधिपत्य में ले लिया था। कांग्रेस ने टीपू सुल्तान का उत्सव मनाया था। भाजपा शुरुआत से ही इसका विरोध करती रही है। ऐसे में पाकिस्तान द्वारा टीपू सुल्तान को याद करने से इस पर राजनीति शुरू हो गई है। भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ऐसा करने के लिए पाकिस्तान पर जोर डाला होगा।