Donald Trump News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ हजारों प्रदर्शनकारी एक बार फिर से सड़क पर उतर आए। द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, जैक्सनविले, फ्लोरिडा से लेकर लॉस एंजिल्स तक, पूरे देश में 700 से अधिक कार्यक्रमों की योजना बनाई गई थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका में कोई किंग नहीं और तानाशाही का विरोध करो जैसे नारों वाले पोस्टर और बैनर लहराए। इतना ही नहीं इस प्रदर्शन को 50501 नाम दिया गया। सीधे शब्दों में बात करें तो इसका मतलब ’50 विरोध प्रदर्शन, 50 राज्य, 1 आंदोलन’ है।
विरोध प्रदर्शन के बड़े कारण
इन प्रदर्शनों में अधिकतर गुस्सा ट्रंप की इमिग्रेशन नीतियों के खिलाफ था। इन प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, ‘कोई आईसीई नहीं, कोई डर नहीं, अप्रवासियों का यहां स्वागत है। इमिग्रेशन और कस्टम विभाग को देश में अवैध रूप से रह रहे लोगों को उनके मूल देश में वापस भेजने का काम सौंपा गया है। जैक्सनविले में LGBTQ+ अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण को वापस लिए जाने के खिलाफ़ प्रदर्शन हुए। ऑस्टिन और पालो ऑल्टो में रैलियों ने टेस्ला और स्पेसएक्स को निशाना बनाया। इसमें एलन मस्क पर ट्रंप के संघीय डाउनसाइजिंग एजेंडे का समर्थन करने का आरोप लगाया गया। प्रदर्शनकारियों ने एजुकेशन, साइंस में नौकरियों के नुकसान के लिए प्रशासन के कॉर्पोरेट नेताओं के साथ गठजोड़ को जिम्मेदार ठहराया।
रूस-यूक्रेन के बीच नहीं बन पा रही बात
डोनाल्ड ट्रंप की तुलना हिटलर से की
अमेरिका में विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने डोनाल्ड ट्रंप की तुलना जर्मनी के तानाशाह हिटलर से कर दी है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति का रवैया पूरी तरह हिटलर के जैसा है। व्हाइट हाउस के बाहर प्रदर्शन कर रहे एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि ट्रंप भी देश की न्याय व्यवस्था को कमजोर करना चाहते हैं। ऐसे लोगों का मानवीय मूल्यों और सद्भाव में कोई भी यकीन नहीं है। अमेरिका के लोग इसका अपनी पूरी ताकत से विरोध करेगी।
ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद चौथा प्रदर्शन
डोनाल्ड ट्रंप के 20 जनवरी को राष्ट्रपति की शपथ ग्रहण करने के बाद में यह चौथा बड़ा प्रदर्शन है। इससे पहले 17 फरवरी को ‘नौ किंग्स डे’ प्रदर्शन हुआ था। ये उस वक्त और खास बन गया जब ट्रंप ने सोशल मीडिया पर खुद को किंग कह दिया था। प्रदर्शन करने वाले लोग चाहते हैं कि ट्रंप सरकार के तानाशाही जैसे रवैये से देश के लोकतंत्र को बचाया जाए। प्रदर्शन कर रहे हीदर डन ने कहा कि यह शांतिपूर्ण आंदोलन है और किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं है।