पाकिस्तानी लेखक तारिक फतेह का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है। अपने बयानों की वजह से हमेशा चर्चा में रहने वाले तारिक फतेह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। अब सोमवार को उन्होंने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। तारिक की बेटी ने उनके निधन की पुष्टि कर दी है। उन्होंने ये भी कहा है कि उनका निधन जरूर हो गया है, लेकिन उनकी क्रांति आगे भी जारी रखी जाएगी। उन्होंने उनके सभी समर्थकों से भी अपील की है कि वे इस क्रांति में उनका साथ दे।

खुलकर बोलने वाली आवाज हुई खामोश

जानकारी के लिए बता दें कि तारिक फतेह इस्लाम और आतंकवाद पर काफी खुलकर बोला करते थे। उनके विचार, उनके स्टैंड हमेशा से ही पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रहे थे। कई मौकों पर उन्होंने पाकिस्तान को आईना दिखाने का काम किया था। अब एक तरफ वे पाकिस्तान को आईना दिखाते थे तो दूसरी तरफ उनका भारत के प्रति रुख हमेशा से ही सकारात्मक रहा। हर बड़े मुद्दे पर वे अपने विचार भी रखते थे, भारत का समर्थन करते भी दिख जाते थे। वे कई मौकों पर मोदी सरकार की भी तारीफ कर चुके थे। एक बयान में उन्होंने कहा था कि मोदी ने बिना एक गोली चलाए पाकिस्तान को भुखमरी की हालत पर ला दिया।पाकिस्तान के नेताओं को भी मोदी से ही सीखना चाहिए।

वैसे तारिक फतेह एक लेखक के साथ-साथ पत्रकार भी रहे। उन्होंने अपनी जिंदगी में हमेशा मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ी, मुस्लिम महिलाओं के लिए अपनी आवाज बुलंद की। लेकिन शरीअत और दूसरे इस्लामिक कानूनों को लेकर उनके कई बयान विवाद का विषय रहे।

देश छोड़ा, जेल गए और कट्टरवाद को दी चुनौती

फतेह का जन्म पाकिस्तान के कराची शहर में साल 1949 में हुआ था। अपने शुरुआती जीवन में वे वामपंथी विचारधारा से खासा प्रेरित रहे और पाकिस्तान को लेकर उनका रोष शुरुआत से ही देखने मिला। उस रोष का खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ा जब 1977 में जनरल रिया उल क ने उन पर गद्दारी का आरोप लगा दिया। उस एक आरोप की वजह से उनके कलम पर भी विराम लगा दिया गया और उनका अखबारों में कॉलम आने का सिलसिला थम गया।

इसके बाद साल 1987 में फतेह की जिंदगी में सबसे बड़ा नाटीकय मोड़ आया जब उन्हें पाकिस्तान छोड़ कनाडा जाना पड़ा। ये फैसला उन्होंने खुद लिया और अपने मुल्क को छोड़ दिया। इसके बाद से उनकी किताबें और उनके बयान ही उनकी पहचान बन गए, वे पाकिस्तान से दूर रहकर भी वहां की राजनीति को बखूबी समझते भी थे और पूरी दुनिया के सामने उसे रखते भी थे।