तालिबानी नेता मुल्ला मोहम्मद उमर की मौत के बारे में एक नया खुलासा हुआ है। एक नई किताब में यह दावा किया गया है कि मुल्ला उमर पाकिस्तान में नहीं बल्कि अफगानिस्तान में अमेरिका के सैन्य ठिकाने के पास ही रह रहा था। इतना ही नहीं उमर की मौत उल्टियां करते -करते हुई। किताब के अनुसार साल 2015 में उमर की मौत की घोषणा होने का बाद भी वह जीवित था। यह रिपोर्ट अमेरिका के उस समय किए दावे के बिल्कुल विपरीत है जिसमें कहा गया था कि मुल्ला उमर पाकिस्तान में छुपा था और उसकी मौत पाकिस्तान में ही हो गई।
नए दावे के बाद से साफतौर पर अमेरिका के खुफिया विभाग की असफलता भी सामने आई है।
हालांकि अफगानिस्तान प्रशासन की तरफ से मंगलवार को किताब में किए गए दावे को खारिज किया गया। अफगान राष्ट्रपति के प्रवक्ता हारून चखनसूरी ने ट्वीट कर कहा, ‘हम साफतौर पर भ्रमित करने वाले इस दावे को खारिज करते हैं। हम इसे तालिबान की पहचान स्थापित करने और उसके विदेशी समर्थकों के प्रयास के रूप में देख रहे हैं। हमारे पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि वह पाकिस्तान में रह रहा था और वहीं उसकी मौत हुई थी। ‘ मालूम हो कि यह दावा स्वतंत्र पत्रकार व लेखिका बैटे डैम ने किया है। डैम ने साल 2019 से साल 2014 में काम किया था। नीदरलैंड में डैम की बायोग्राफी ‘उमर, सर्चिंग फॉर एन एनिमी’ पिछले महीने प्रकाशित हुई थी।

उल्टियां करते-करते मरा था उमरः डैम ने उमर के बॉडीगार्ड जब्बर ओमारी से प्राप्त जानकारी के आधार पर लिखा है कि मुल्ला उमर साल 2013 की शुरुआत में बीमार पड़ गया था। उसे खांसी के साथ ही उल्टियां शुरू हो गई थीं। इस बीमारी से वह उबर नहीं पाया। ओमारी ने बताया कि शुरवा सूप उमर का पसंदीदा डिश थी। डैम लिखती हैं कि ओमारी ने उसे डॉक्टर के पास ले जाने के लिए जोर दिया और उस्ताज ने उमर को पाकिस्तान में अस्पताल ले जाने को कहा लेकिन उसने जाने से मना कर दिया। 23 अप्रैल 2013 को उसकी मौत हो गई। 29 जुलाई 2015 को अफगानिस्तान सरकार ने घोषणा की कि मुल्ला उमर साल 2013 में मर गया था।