अफगानिस्तान की संसद पर सोमवार को तालिबान आतंकवादियों ने हमला किया। हमले के समय संसद का सत्र चल रहा था। इसी दौरान आतंकवादियों की ओर से किए गए विस्फोट और गोलीबारी से संसद भवन में अफरा-तफरी मच गई। संसद की कार्यवाही का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया जा रहा था और टीवी फुटेज में देखा गया कि हमले के बाद सांसद सुरक्षित स्थान के लिए इधर उधर भागने लगे।

हमला तब हुआ जब रक्षा मंत्री पद के लिए अफगानिस्तानी राष्ट्रपति की ओर से नामांकित एक प्रतिनिधि के बारे में संसद में परिचय दिया जाना था। अफगान फौज के विशेष बलों ने तुरंत जवाबी कार्यवाही शुरू की और दो घंटे तक चली मुठभेड़ में एक आत्मघाती कार बम हमलावर सहित सातों हमलावर मारे गए। इसके अलावा एक बच्चे सहित दो लोगों की भी मौत हो गई। सैन्य बलों की कार्रवाई खत्म होने के बाद सभी सांसदों को सुरक्षित निकाल लिया गया। काबुल में इतने महत्त्वपूर्ण स्थान पर हुए इस हमले से सुरक्षा के बारे में सवाल खड़े हो गए हैं क्योंकि अफगान सुरक्षा बल नाटो की मदद के बिना पहली बार अपने बूते तालिबान का मुकाबला कर रहे हैं। नाटो बलों ने गत दिसंबर में अपना अभियान देश में समाप्त कर दिया था।

काबुल पुलिस के प्रवक्ता अब्दुल्ला करीमी ने कहा कि सबसे पहले संसद की इमारत के पास मुख्य सड़क पर एक कार बम विस्फोट हुआ। उसके बाद हमलावरों का एक समूह संसद के सामने स्थित एक इमारत में घुस गया। पुलिस और संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इस हमले में दो नागरिक मारे गए जिसमें एक महिला और एक बच्चा शामिल है।

गृह मंत्रालय के उप प्रवक्ता नजीब दानिश ने कहा कि कुल सात हमलावर थे। उन्होंने कहा कि शुरुआती धमाके में करीब 15 नागरिक घायल हो गए। दानिश ने कहा कि हमलावरों ने संसद पर ग्रेनेड भी दागे, हालांकि इससे मामूली नुकसान हुआ। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि हमले में 31 लोग घायल हुए हैं जिसमें पांच महिलाएं और एक बच्चा शामिल है।

इस घटना के टेलीविजन फुटेज में पहले विस्फोट के बाद संसद के भीतर अफरा तफरी दिखी। स्पीकर अब्दुल रऊफ अपनी कुर्सी पर बैठे हुए देखे गए और सांसदों से कह रहे थे कि ‘यह कोई बिजली से संबंधित मामला है।’

हमले के समय संसद में मौजूद रहे सांसद मोहम्मद रजा खोशक ने बताया कि सबसे पहले एक बड़े विस्फोट की आवाज सुनाई दी। इसके बाद कई अन्य छोटे विस्फोटों की आवाजें आईं। उन्होंने कहा कि कुछ ही सेकेंड में हॉल में धुआं भर गया और सांसद इमारत से भागने लगे।

तालिबान ने हमले की जिम्मेदारी ली है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने ट्वीट किया, ‘कई मुजाहिदीन संसद की इमारत में दाखिल हो गए हैं। भीषण संघर्ष चल रहा है।’ उसने कहा, ‘हमला उस वक्त किया गया जब रक्षा मंत्री के बारे में परिचय दिया जा रहा था।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की निंदा की है। मोदी ने ट्वीट किया कि अफगानिस्तानी संसद पर यह हमला एक घृणित और कायरतापूर्ण कृत्य है। लोकतंत्र में ऐसे हमलों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैं घायल लोगों के लिए प्रार्थना करता हूं। हम इस घड़ी में अफगानिस्तान के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।

तालिबान ने अप्रैल के आखिर में देशव्यापी स्तर पर हमले शुरू करते हुए सरकारी और विदेशी नागरिकों के ठिकानों को निशाना बनाया। तालिबान आतंकवादियों ने अफगानिस्तान के प्रमुख मौलवियों के रमजान के महीने में हमले नहीं करने की अपील को भी दरकिनार कर दिया। हिंसा में बढ़ोतरी होने से हताहत होने वाले नागरिकों की संख्या भी बढ़ गई है।
तालिबान के आत्मघाती हमलावरों इससे पहले 2012 में भी संसद पर हमले की कोशिश की थी। उस वक्त उन्होंने कई राजनयिक क्षेत्रों के साथ ही काबुल के कई हिस्सों में हमले किए थे। अफगानिस्तान पर अमेरिका के आक्रमण के बाद 2001 में तालिबान देश की सत्ता से बेदखल हो गया था।