काबुल हवाई अड्डे के पास सोमवार सुबह नाटो के काफिले को निशाना बनाते हुए तालिबान के एक आत्मघाती कार बम हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई। यह हमला पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ की काबुल यात्रा के एक दिन बाद हुआ है जो शांति वार्ता बहाल करने के प्रयास के तहत आए थे। काबुल के उप पुलिस प्रमुख गुल आगा रूहानी ने कहा-‘विस्फोट काबुल हवाई अड्डे के पास हुआ। हम ब्योरे का पता लगा रहे हैं।’ अफगान गृह मंत्रालय के प्रवक्ता सादिक सिद्दीकी ने ट्विटर पर कहा-‘सोमवार को हुए कार बम विस्फोट में एक असैन्य व्यक्ति की मौत हो गई और चार असैन्य लोग घायल हो गए।’
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने कहा कि विदेशी बलों के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के पीछे विद्रोहियों का हाथ है। उसने दावा किया कि हमलावर बल के कई लोग मारे गए और घायल हो गए। इस बीच नाटो ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि वह घटना की जांच कर रहा है। हमला पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ के काबुल दौरे के एक दिन बाद हुआ है। शरीफ तालिबान के साथ ताजा शांति वार्ता के लिए आधार तैयार करने के मकसद से आए थे।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा-‘दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि शांति के लिए समग्र रोडमैप तैयार करने के वास्ते जनवरी में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, अमेरिका और चीन के बीच पहले दौर की वार्ता होगी।’ चार पक्षीय वार्ता की घोषणा को लेकर तालिबान की तरफ से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है।
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिम बाजवा ने ट्विटर पर कहा कि वार्ता जनवरी के पहले सप्ताह में होगी, लेकिन आयोजन स्थल का खुलासा नहीं किया। पाकिस्तान ने जुलाई में पहले दौर की वार्ता कराई थी, लेकिन बातचीत तब थम गई जब विद्रोहियों ने अपने नेता रहे मुल्ला उमर की मौत की विलंब से पुष्टि की। अफगानिस्तान तालिबान को वार्ता की मेज पर लाने में पाकिस्तान के महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में देखता है। लेकिन इसके बावजूद विश्लेषक आगाह करते हैं कि कोई भी वास्तविक वार्ता अभी दूर की बात है। अफगान बल वर्तमान में दक्षिणी हेलमंद प्रांत में अफीम की प्रचुर पैदावार वाले सांगिन जिले के एक बड़े इलाके से तालिबान को खदेड़ने की कोशिशों में लगे हैं जिसने इस क्षेत्र पर कब्जा जमा लिया था।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि अधिक क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए तालिबान के हमलों में बढ़ोतरी वार्ता के दौरान अधिक फायदा हासिल करने की तालिबान की कोशिशों को दर्शाती है। अशांत प्रांत में ब्रिटिश सैनिकों की पहली तैनाती के फैसले के पीछे तालिबान की यही आक्रामकता कारण है। यह तैनाती अमेरिका के विशेष बलों के हाल में पहुंचने के अतिरिक्त है। इस तरह की तैनाती नाटो बलों द्वारा देश में अपने लड़ाकू अभियान को औपचारिक रूप से खत्म करने के एक साल बाद हो रही है।