अफगानिस्तान ने कहा है कि पाकिस्तान में किए गए अमेरिका के एक ड्रोन हमले में अफगान तालिबान के प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर मारा गया है। मंसूर का मारा जाना आतंकवादियों के लिए तगड़ा झटका है। अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस ने कहा कि हमले के कुछ देर बाद ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान को इसकी सूचना दे दी गई। अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि मंसूर और अन्य आतंकवादी को शनिवार (21 मई) को अमेरिकी विशेष अभियान बलों की ओर से संचालित मानवरहित (ड्रोन) विमानों से उस वक्त निशाना बनाया गया, जब वे दोनों अफगान सीमा के पास स्थित पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में अहमद वाल शहर के पास एक सुदूर इलाके में किसी वाहन में सवार होकर जा रहे थे।
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन हमले को राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मंजूरी दी थी। इससे यह जाहिर होता है कि अमेरिका पाकिस्तान में तालिबान नेतृत्व को निशाना बनाने को तैयार है। अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर बार-बार आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाया है। अफगानिस्तान की मुख्य जासूसी एजंसी ने बताया कि मंसूर की उम्र 50 साल से कुछ अधिक रही होगी। वह पाकिस्तान के अंदर अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया। राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘कुछ समय से मंसूर की करीब से निगरानी की जा रही थी। इसके बाद बलुचिस्तान में एक वाहन में अन्य लड़ाकों के साथ जाते समय उसे निशाना बनाया गया।’
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अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता दौलत वजीरी ने भी मंसूर की मौत की पुष्टि की है। काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने संगठन से एक नया नेता चुनने और काबुल आकर एक राजनीतिक पार्टी जैसा व्यवहार करने को कहा है। म्यांमा की राजधानी नेपीदाव में अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘मंसूर अमेरिकी जवानों, अफगान नागरिकों और अफगान सुरक्षा बलों के लिए एक आसन्न खतरा था।’ उन्होंने कहा कि मंसूर शांति प्रक्रियाओं के भी विरोध में था। कैरी ने कहा, ‘अमेरिका लंबे समय से कहता आया है कि अफगान नीत, अफगान स्वामित्व वाली मैत्री प्रक्रिया शांति सुनिश्चित करने का निश्चित रास्ता है। हम शांति चाहते हैं और मंसूर इसके लिए खतरा था।’
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने पहले इस बात की पुष्टि कर दी थी कि उसने राष्ट्रपति बराक ओबामा की मंजूरी वाले अभियान में मंसूर को निशाना बनाया। पेंटागन के प्रेस सचिव पीटर कुक ने कहा, ‘मंसूर तालिबान का नेता रहा था। वह अफगानिस्तान और काबुल के प्रतिष्ठानों पर हमलों की योजना बनाने में शामिल था। वह अफगान नागरिकों और सुरक्षा बलों, हमारे कर्मियों और गठबंधन सहयोगियों के लिए खतरा पैदा कर रहा था।’
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मंसूर ने जुलाई 2015 में नेतृत्व संभाल लिया था। उसने तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर की जगह ली थी। अफगानिस्तान में पैदा हुआ मंसूर 1990 के दशक में समूह के शुरुआत से ही तालिबान का सदस्य था। वह 2013 से प्रभावी रूप से इसकी कमान संभाल रहा था। वाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ने हमले के कुछ ही समय बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों को ही इसकी सूचना दे दी।
काबुल में, अफगान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा कि यदि मंसूर की मौत की पुष्टि हो जाती है तो तालिबान के पदों पर बड़े बदलावों की उम्मीद की जा सकती है। कई तालीबानी नेता शांति प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। अब्दुल्ला ने कहा कि मंसूर अफगान शांति प्रक्रिया में एक बड़ा अवरोधक रहा है। उसकी मौत इस आतंकी समूह के लिए एक बड़ा झटका होगी। अमेरिका के कई शीर्ष सांसदों ने मंसूर को मार गिराने के अभियान की प्रशंसा की है। सेनेटर और शक्तिशाली सेनेट आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के अध्यक्ष जॉन मैक्केन ने कहा, ‘मैं इस खबर का स्वागत करता हूं कि मुल्ला मंसूर को मार गिराया गया। इस अभियान को अंजाम देने वाले अमेरिकी सैन्य बलों की क्षमता और उनके पेशेवर अंदाज को मैं सलाम करता हूं। इस कार्रवाई ने अमेरिका और अफगानिस्तान को सुरक्षित बनाया है।’
सेनेटर और सेनेट फॉरेन रिलेशंस कमेटी के अध्यक्ष बॉब कॉर्कर ने कहा, ‘अगर तालिबान नेता मुल्ला अख्तर मंसूर की मौत की खबर में सच्चाई है तो यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक अहम जीत और अफगानिस्तान में हमारे सैन्यकर्मियों के लिए एक स्वागत योग्य खबर होगी।’