Rebuild Gurdwara Hit By Islamic State In Kabul: तालिबान शासन ने काबुल में गुरुद्वारा दशमेश पिता के पुनर्निर्माण के लिए फंड जारी कर दिए हैं। इस गुरुद्वारे को दो महीने पहले बंदूकों और बमों से हमला कर क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। निर्माण कार्य के प्रभारी हिंदू और सिख समुदाय के सदस्यों के अनुसार इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) ने हमले की जिम्मेदारी ली थी।

काबुल में हिंदू-सिख समाज के प्रमुख और काम की निगरानी कर रहे राम सरन भसीन ने कहा, “इंजीनियरों सहित उनके अपने लोग यहां आए, नुकसान का जायजा लिया, गणना की और हमें पैसे दिए।” अफगानिस्तान में शासन के लिए औपचारिक नाम का उपयोग करते हुए उन्होंने कहा, “तालिबान ने 40 लाख अफगानी रुपए दिए। पुनर्निर्माण को लगभग पूरी तरह से इस्लामिक अमीरात द्वारा वित्त पोषित किया गया है।हमने कोई अन्य फंड नहीं जुटाया।”

करता परवन जहां काम चल रहा है, द इंडियन एक्सप्रेस को अफगान कार्यकर्ता दीवारों पर पेंटिंग करते, संगमरमर के पैनल काटते, फर्श की टाइलें बिछाते और मुख्य मण्डली हॉल – तख्त – जहां गुरु ग्रंथ साहिब रखा जाएगा, को अंतिम रूप देते हुए मिले। मुख्य सड़क से दूर फिसलन वाली सड़क पर स्थित इस गुरुद्वारे पर अब तालिबान का पहरा है।

18 जून को हुआ था हमला, हालांकि पवित्र पुस्तक को सुरक्षित बचा लिया गया

18 जून को हमले के तुरंत बाद जैसे ही फायर ब्रिगेड ने गुरुद्वारे में आग की लपटों को बुझाया, सिख पवित्र पुस्तक को सुरक्षित वहां से उठा लिया गया और पड़ोस के एक सिख परिवार के यहां ले जाया गया। भसीन ने कहा, “यह काबुल में नंबर 1 गुरुद्वारा है, और इसे जल्द से जल्द खड़ा करना और शुरू हमारी प्राथमिकता है।” उन्होंने बड़े पैमाने पर लोहे के गेट और असेंबली हॉल के बाहर की दीवारों पर निशान की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगस्त के अंत तक गुरुद्वारा बनकर तैयार हो जाएगा।

भसीन के अनुसार, आईएस हमलावर और मौके पर पहुंचे तालिबान समूह के बीच मुठभेड़ के दौरान गुरुद्वारा कार्यालयों सहित परिसर का एक बड़ा हिस्सा आग की लपटों में घिर गया।

भसीन और सिख समुदाय के कई सदस्य, जो गुरुद्वारे के पीछे रहते थे और सुबह “अरदास” (प्रार्थना) के लिए परिसर की ओर जा रहे थे, “घबरा गए” जब उन्होंने अंदर से गोलियों और विस्फोट की आवाज़ सुनी। वे गुरुद्वारे की ओर भागने लगे लेकिन तालिबान के गार्डों ने उन्हें रोक दिया, क्योंकि एक संदिग्ध वाहन बाहर खड़ा था। कुछ मिनट बाद, वाहन में विस्फोट हो गया।

भसीन ने कहा, “अगर हमें नहीं रोका गया होता तो करीब 40 लोगों की मौत हो जाती।” बाद में, दो लोगों की मौत हो गई – गेट खोलने वाला गार्ड और गजनी निवासी सुरिंदर सिंह, जो काबुल में काम खोजने की कोशिश कर रहा था और अपने परिवार को पैसे भेजना चाहता था, जिन्हें वह दिल्ली भेजा था। सेवादार तरलोक सिंह सहित तीन लोग घायल हो गए, जिनका परिसर के एक बड़े हिस्से में लगी आग में अन्य निजी सामानों के साथ पासपोर्ट भी खो गया।