सीरिया में हाल ही में हुए तख्तापलट और राष्ट्रपति बशर अल-असद के देश छोड़कर रूस में शरण लेने के बाद अब वहां हयात तहरीर अल-शाम (HTS) लीडर अहमद अल-शरा का शासन है। हाल ही में सीरिया के नए नेता अहमद अल-शरा ने कहा कि उनका देश अब किसी पड़ोसी या पश्चिम के देशों के लिए कोई ख़तरा नहीं है। उसने कहा कि सीरिया जंग से थक गया है।

बीबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में अल-शरा ने कहा कि अब पश्चिमी देशों को सीरिया पर लगे प्रतिबंध हटा लेने चाहिए। नेता ने कहा, “अब जो कुछ भी हुआ है उसके बाद प्रतिबंध हटा देने चाहिए क्योंकि उनके निशाने पर पुरानी सरकार थी। पीड़ित और उत्पीड़क के साथ एक समान व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।”

अल-शरा ने कहा कि एचटीएस को अब आतंकवादी संगठन की सूची से हटा दिया जाना चाहिए, एचटीएस कोई आतंकवादी ग्रुप नहीं है। उसने कहा कि एचटीएस ने ग़ैर-सैन्य इलाक़ों या आम लोगों को कभी निशाने पर नहीं लिया है। अल-शरा ने ख़ुद को बशर अल-असद के अत्याचारों से पीड़ित बताया।

आतंकवादी संगठनों की लिस्ट में है HTS

गौरतलब है कि UN, अमेरिका, EU और ब्रिटेन ने विद्रोही गुट HTS को आतंकवादी संगठनों की सूची में रखा है। ये गुट अल-क़ायदा से निकला है। साल 2016 में अल-क़ायदा में फूट के बाद अल-शरा ने एचटीएस का गठन किया था।

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सीरिया को अफ़ग़ानिस्तान नहीं बनाना चाहते- अल शरा

एचटीएस प्रमुख ने कहा कि वह सीरिया को अफ़ग़ानिस्तान नहीं बनाना चाहते। उसने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान और सीरिया दोनों अलग मुल्क हैं, दोनों की परंपराएं और रिवाज बिल्कुल अलग हैं। उसने कहा कि सीरिया में अलग किस्म की सोच है। अल-शरा ने कहा कि वह महिलाओं को शिक्षा देने में यक़ीन रखते हैं। अल-शरा ने कहा कि सीरिया का नया संविधान लिखने के लिए एक समिति बनाई जाएगी। जो भी व्यक्ति शासक या राष्ट्रपति बनेगा, उसे इस क़ानून का पालन करना होगा।

सीरिया छोड़ने का कोई इरादा नहीं था- बशर अल-असद

वहीं, दूसरी ओर सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद ने कहा कि उनका सीरिया छोड़ने का कभी कोई इरादा नहीं था। यह बयान टेलीग्राम पर सीरियाई प्रेसिडेंसी चैनल पर आया है। बयान में कहा गया है कि जैसे ही सीरिया की राजधानी दमिश्क पर विद्रोहियों का क़ब्ज़ा हुआ वह युद्ध अभियान देखने लताकिया गए, जहां उन्होंने ये देखा कि सीरियाई सैनिक पीछे हट चुके हैं। इस दौरान हमिमीम एयरबेस पर भी ड्रोन से तेज़ हमले होने लगे जिसके बाद रूसियों ने उन्हें एयरलिफ़्ट कर मॉस्को ले जाने का फ़ैसला किया।

राष्ट्रपति के बयान में कहा गया, “बेस छोड़ने के लिए कोई साधन नहीं था जिसके बाद मॉस्को ने बेस कमांड से आग्रह किया कि वो तत्काल वहां से मॉस्को रवाना होने की व्यवस्था करें। यह दमिश्क के क़ब्ज़े में जाने और अंतिम सैन्य ठिकानों के ढहने और बाकी बचे सभी संस्थाओं के चरमराने के बाद हुआ। देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग