Syria Civil War News: मिडिल-ईस्ट में पड़ने वाले देश सीरिया में विद्रोहियों का कब्जा हो गया है। राष्ट्रपति बशर अल-असद शासन का पतन हो गया है। वह देश को छोड़कर भाग गए हैं। विद्रोहियों ने पब्लिक रेडियो और टीवी बिल्डिंग पर भी अपना कंट्रोल कर लिया है। यहीं से वह नई सरकार का ऐलान कर सकते हैं। विद्रोही शहर में अपनी जीत के जश्न में डूबे हुए हैं और हवाई फायरिंग कर जश्न मना रहे हैं।
सीरियाई प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी अल-जलाली ने रविवार सुबह एक रिकॉर्डेड संदेश में कहा कि सरकार लोगों द्वारा चुने गए किसी भी नेतृत्व के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है। अल-जलाली ने कहा, ‘मैं अपने घर में ही हूं, यहां से बाहर नहीं गया हूं और यहां से जाने का इरादा भी नहीं है, सिवाय इसके कि मैं शांतिपूर्ण तरीके से यहां से जाऊं, ताकि सार्वजनिक संस्थानों, राज्य सुविधाओं का संचालन जारी रहे और सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।’
रविवार को जारी एक बयान के अनुसार, सीरिया में विद्रोही बलों ने दमिश्क को आजाद घोषित कर दिया है। सैन्य अभियान कमान ने टेलीग्राम पर एक पोस्ट में लिखा, ‘हम दमिश्क शहर को तानाशाह बशर अल-असद से मुक्त घोषित करते हैं।’ बयान में कहा गया, ‘दुनिया भर के विस्थापितों के लिए, एक स्वतंत्र सीरिया आपका इंतजार कर रहा है।’ सीरियाई विद्रोही समूह एचटीएस के नेता अबू मोहम्मद अल-जोलानी ने सेना को आदेश दिया है कि वे दमिश्क में ऑफिशियल इंस्टीट्यूशन के पास तब तक न जाएं जब तक कि उन्हें आधिकारिक तौर पर सौंप नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि तब तक वे प्रधानमंत्री के पास ही रहेंगे।
सीरिया में क्या हुआ?
सीरिया में पिछले कई सालों से गृहयुद्ध के हालात थे। इस युद्ध की शुरुआत साल 2011 से शुरू होती है। जब हिंसा में लाखों लोगों की जान चली गई थी। इतना ही लाखों लोगों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। यह युद्ध बशर अल-असद की सरकार के खिलाफ शुरू हुआ था, लेकिन अब इसमें कई अलग-अलग समूह शामिल हो गए थे। इसमें विद्रोही समूह, आतंकवादी संगठन और अन्य देशों की सेनाएं शामिल थीं। इस युद्ध की वजह से हालात इतने बदतर हो गए हैं कि लाखों सीरियाई शरणार्थियों को पड़ोसी देशों में शरण लेनी पड़ी है। रूस तो बशर अल-असद की सरकार को पूरा सहयोग दिया।
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विद्रोहियों की क्या थी डिमांड
सीरिया में विद्रोहियों की डिमांड भी वक्त के हिसाब से बदलती रही। ज्यादातर विद्रोहियों गुटों का अहम टारगेट बशर अल-असद को सत्ता से हटाना और एक नई सरकार स्थापित करना था। यह सभी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार देश में चाहते हैं। इतना ही नहीं वह सभी लोगों के लिए समान अधिकारों की भी मांग करते रहे हैं। इसमें कुछ धार्मिक गुट इस्लामी शासन की स्थापना चाहते हैं और वह चाहते हैं कि देश इस्लामी कानून के हिसाब से चले।
कौन-कौन से विद्रोही गुट शामिल
अब विद्रोही गुटों पर गौर करें तो इसमें पहला गुट तो हयात तहरीर अल-शाम है। इसे अल-कायदा से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह सबसे शक्तिशाली गुटों में से एक माना जाता है। दूसरा गुट सीरियन नेशनल आर्मी का है। इसको तुर्की का पूरी तरह से समर्थन हासिल है और यह गुट सीरियाई विपक्ष का एक मजबूत ग्रुप है। तीसरा गुट अह्रार अल-शाम है। यह एक इस्लामी गुट है। यह सीरिया में सक्रिय हुआ। चौथा गुट अल-नुसरा फ्रंट हैं। यह भी अलकायदा से ही जुड़ा हुआ है। सीरिया में हो रहे बवाल का भारत पर भी असर पढे़ं पूरी खबर…