स्वीडन का केंद्रीय बैंक रिक्सबैंक ई-करेंसी जारी करने पर विचार कर रहा है। अगर बैंक ऐसा करता है तो वो दुनिया का पहला ऐसा देश होगा जो ई-करेंसी जारी करेगा। रिक्सबैंक के डिप्टी गवर्नर सीसिलिया स्काइंग्जली ने बुधवार (16 नवंबर) को इस फैसले की घोषणा की। सीसिलिया के अनुसार नकदी के कम होते इस्तेमाल को देखते हुए बैंक इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। करीब 300 साल पहले यूरोप में पहली बार स्वीडन में बैंक नोट का प्रयोग शुरू हुआ था। लेकिन पिछले कुछ सालों में नोटों के प्रयोग में काफी गिरावट आई है। इस समय बैंक नोट स्वीडन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.5 प्रतिशत हैं जबकि 1950 ये अनुपात करीब 10 प्रतिशत था। स्वीडेन में कई दुकानों ने नकद लेना बंद कर दिया। नकद के कम होते प्रचलन के कारण नकद निकासी के एटीएम की संख्या भी कम हुई है।
ई-करेंसी या डिजिटल करेंसी आम डेबिट-क्रेडिट कार्ड की तरह ही काम करती है। इससे इंटरनेट के माध्यम से लेन-देन हो सकता है। ऑनलाइन स्टोर पर ई-करेंसी का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। सीसिलिया ने मीडिया से कहा, “स्वीडन इस मामले में काफी आगे है। हमें किसी और देश की नकल करने की जरूरत नहीं क्योंकि दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जो नोट और सिक्कों का प्रयोग बंद करने में हमारे मुकाबले में हो। ”
सीसिलिया ने पत्रकारों से कहा, “ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो विभिन्न कारणों से परंपरागत बैंकों तक नहीं पहुंच पाते या उनकी उन बैंकों तक पहुंच संभव नहीं है।” ई-करेंसी बिटक्वाइट पिछले कुछ सालों में काफी विवादित रही है। हालांकि विवादों के साथ ही ये इंटरनेट पर लोकप्रिय भी होती जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो ई-करेंसी के मामले में पैसे की हेराफेरी या कालेधन में बदलने की संभावना ज्यादा होगी। यानी ई-करेंसी कागजी नोटों से ज्यादा असुरक्षित साबित हो सकती हैं।
बैंक नोट इस समय भारत में भी चर्चा में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 और 1000 के नोट बंद किए जाने की घोषणा के बाद से ही देश में नकदी की किल्लत हो गई है। अपने फैसले के बचाव में सरकार ने कहा है कि नोटबंदी से कालाधन बाहर आएगा और भारत नकद-मुक्त अर्थव्यवस्था बनने की तरफ बढ़ेगा। कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने सरकार के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि भारतीय में जीडीपी के करीब 20 बैंक नोट प्रचलन में है और अंतरराष्ट्रीय औसत चार प्रतिशत है। अगर सरकार के फैसले से ये अनुपात 10 प्रतिशत तक नहीं आता तो इसका कोई फायदा नहीं होगा।