Pakistan Earthquake: पाकिस्तान में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए हैं, लोग खौफ में अपने घर से भाग गए हैं। इस भूकंप की तीव्रता 4.4 मापी गई है, वहीं केंद्र पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों में रहा है। अभी तक इस भूकंप से किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन लोग डरे हुए हैं, वे अपने घरों से बाहर निकले हैं। अब लोगों का दहशत में आना भी स्वभाविक है क्योंकि जिन क्षेत्रों में झटके महसूस हुए हैं, वो भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है।

पाकिस्तान में भूकंप के तेज झटके

यहां पर समझने वाली बात यह है कि भारत और यूरेशियन प्लेट्स के टकराने की वजह से ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सीमाई क्षेत्रों में भूकंप के तेज झटके महसूस होते हैं। पिछले कुछ सालों में इस वजह से पाकिस्तान में कई मौकों पर तेज तीव्रता वाले भूकंप भी आए हैं। वैज्ञानिक तो मानते हैं कि अभी भी एक ज्यादा तीव्रता का भूकंप इस इलाके को तबाह कर सकता है।

वैसे भूकंप के मामले में तो भारत भी ज्यादा सुरक्षित नहीं है। यहां भी इस साल कई मौकों पर तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। राजधानी दिल्ली में तो अलग ही चिंताएं चल रही हैं, पुरानी होती इमारतें और उनकी कमजोर होती नींव ने सरकार को भी परेशान कर रखा है। दिल्ली क्योंकि भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में पड़ता है, इसने भी टेंशन बढ़ा रखी है।

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कौन सा भूकंप कितना ताकतवर?

भारत का 59 फीसदी हिस्सा भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है, यहां भी नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच में कुल 159 भूकंप आ चुके हैं। Bureau of Indian Standards (BIS) ने भारत को भूकंप के लिहाज से 4 जोन में बांट रखा है, इसे Seismic Zone भी कहा जाता है।

भूकंप से निपटने के लिए क्या कदम?

अब भारत की तमाम सरकारों को इस बात का अहसास है कि देश में एक तेज तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। ऐसे में कई कदम उठाए गए हैं। उदाहरण के लिए 2014 तक अगर सिर्फ 80 Seismic Observatories रहती थीं, 2025 तक वो आंकड़ा बढ़कर 168 हो चुका है। इसी तरह पूरे देश में Earthquake Early Warning System शुरू करने की तैयारी है। उत्तराखंड में तो साल 2021 में ही Earthquake Early Warning System आ चुका है। जो भी इसकी फाइडिंग होती है, उसे BhuDEV (Bhukamp Disaster Early Vigilante) ऐप पर भेजा जाता है।

अब एक तरफ तकनीक के सहारे भूकंप के खतरों से बचने की कोशिश है तो वहीं दूसरी तरफ लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है। इसी वजह से NDMA ने इस साल मार्च में ही ‘आपदा का सामना’ नाम से एक जागरूकता अभियान शुरू किया था। इसे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया। इसी तरह साल 2016 में पीएम मोदी ने भी भूकंप की गंभीरता को समझा था और एक 10 प्वाइंट एजेंडा तैयार किया था। तब 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए इन कदमो को जरूरी माना गया था। इस लिस्ट में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम शुरू करने से लेकर बीमा पॉलिसी में बड़े बदलाव करना तक शामिल था।

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