भारत की नाराजगी के बाद शनिवार (6 अगस्त, 2022) को श्रीलंका ने चीन के जासूसी जहाज को देश में घुसने से रोक दिया है। श्रीलंका सरकार ने चीन से कहा कि वह हंबनटोटा बंदरगाह पर अपने अंतरिक्ष-उपग्रह ट्रैकर जहाज युआन वांग 5 की यात्रा को तब तक के लिए टाल दे, जब तक कि दोनों सरकारों के बीच कोई वार्ता न हो जाए।

बता दें कि चीन के इस जासूसी जहाज को 11 अगस्त को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर ईंधन भरने और 17 अगस्त को छोड़ने के लिए निर्धारित किया गया था। मरीन ट्रैफिक वेबसाइट के मुताबिक, यह जहाज फिलहाल दक्षिण जापान और ताइवान के उत्तर पूर्व के बीच पूर्वी चीन सागर में है।

29 सितंबर, 2007 को सेवा में आया जहाज

युआन वांग सीरीज का तीसरी पीढ़ी का ट्रैकिंग जहाज है, जो 29 सितंबर, 2007 को सेवा में आया था और इसे चीन के 708 अनुसंधान संस्थान द्वारा डिजाइन किया गया था। इसे एक शोध और सर्वेक्षण पोत के रूप में वर्णित किया गया है, लेकिन इसे अंतरिक्ष और उपग्रह ट्रैकिंग के लिए और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च में विशिष्ट उपयोग के साथ नियोजित किया जा सकता है।

भारत सरकार ने श्रीलंका सरकार को दर्ज कराई थी शिकायत: रिपोर्ट

कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि नई दिल्ली को चिंता थी कि जहाज का इस्तेमाल उसकी गतिविधियों की जासूसी करने के लिए किया जाएगा और उसने कोलंबो में शिकायत दर्ज कराई थी। भारत को अपने दक्षिणी पड़ोसी श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव पर संदेह बना हुआ है।

विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह ‘भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों पर किसी भी असर की बारीकी से निगरानी करेगा और सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा”।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक युआन वांग-5 पावरफुल ट्रैकिंग शिप है। यह शिप करीब 750 किलोमीटर दूर तक आसानी से निगरानी कर सकता है। यह शिप पैराबोलिक ट्रैकिंग एंटीना और कई सेंसर्स से लैस है। इस शिप में हाई-टेक ईव्सड्रॉपिंग इक्विपमेंट लगे हैं। यानी कि छिपकर सुनने वाले उपकरण मौजूद हैं। बता दें कि साल 2017 में श्रीलंका ने कर्ज न चुकाने पर साउथ में स्थित हंबनटोटा पोर्ट को 99 साल की लीज पर चीन को सौंप दिया था।