उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच सालों से चल रहा तनाव अब और भी गहराता जा रहा है। उत्तर कोरिया ने हाल में संशोधित किए गए अपने संविधान में दक्षिण कोरिया को पहली बार ‘शत्रु राष्ट्र’ के रूप में परिभाषित किया है। उत्तर कोरिया ने इस बात की पुष्टि की है।
उत्तर कोरिया की संसद ने देश के संविधान में परिवर्तन करने के लिए पिछले सप्ताह दो दिन तक बैठक की थी। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने जनवरी में दक्षिण कोरिया को देश का मुख्य शत्रु घोषित करने, शांतिपूर्ण कोरियाई एकीकरण के लक्ष्य को खत्म करने और उत्तर कोरिया की संप्रभुता और क्षेत्र को परिभाषित करने के लिए संविधान में बदलाव का आह्वान किया था।
उत्तर कोरिया ने बुधवार को घोषणा की कि 1.4 मिलियन से अधिक नागरिकों ने सेना में शामिल होने के लिए आवेदन किया है। यह घोषणा दक्षिण कोरिया द्वारा पिछले हफ्ते सीमा पार प्योंगयांग विरोधी प्रचार पत्रों के साथ ड्रोन भेजने के जवाब में अपनी दक्षिणी सीमा पर सड़कों और रेलवे लाइनों के एक हिस्से को उड़ाने के एक दिन बाद की गई है।
संविधान में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया को ‘शत्रु राष्ट्र’ के रूप में परिभाषित किया
हाल में उत्तर कोरिया ने उन सड़कों और रेल संपर्क सुविधाओं को ध्वस्त कर दिया जो अब उपयोग में नहीं हैं और जो कभी उत्तर कोरिया को दक्षिण कोरिया से जोड़ती थीं। आधिकारिक ‘कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी’ (केसीएनए) ने इन्हें ध्वस्त किए जाने के संबंध में बृहस्पतिवार को कहा कि संविधान दक्षिण कोरिया को एक शत्रु राष्ट्र के रूप में स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। केसीएनए ने संवैधानिक बदलाव के बारे में कोई और विवरण नहीं दिया।
देखा जाये तो दोनों कोरियाई देश 70 से ज़्यादा सालों से युद्धरत हैं और बीच-बीच में तनाव बढ़ना आम बात है। फिर भी, हाल ही में हुई यह लड़ाई काफ़ी अहम है। आइये जानते हैं क्यों?
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से चली आ रही है दुश्मनी
कोरियाई प्रायद्वीप 1910 से ही जापान के नियंत्रण में था। 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण के बाद प्रायद्वीप दो भागों में विभाजित हो गया। सोवियत और चीनी कम्युनिस्टों ने उत्तर में डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया का समर्थन किया जबकि अमेरिकियों ने दक्षिण में रिपब्लिक ऑफ कोरिया के निर्माण का समर्थन किया।
1950 में संस्थापक किल इल सुंग के नेतृत्व में उत्तर कोरियाई सेना ने दक्षिण पर आक्रमण किया, जिससे तीन साल तक चलने वाला कोरियाई युद्ध शुरू हो गया। शुरुआती बड़ी सफलता हासिल करने के बावजूद, अमेरिकी सैनिकों ने दक्षिण को वापस लड़ने में मदद की। आखिरकार, किसी भी पक्ष को निर्णायक जीत नहीं मिली और 1953 में युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए गए। इसके कारण कोरियाई विसैन्यीकृत क्षेत्र (DMZ) का निर्माण हुआ, जिसने प्रायद्वीप को आधे हिस्सों में विभाजित कर दिया, लेकिन कोई स्थायी शांति संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए गए।
साउथ कोरिया को अब पूरी तरह दुश्मन मानते हैं किम जोंग उन
तब से दोनों कोरियाई राष्ट्र विभाजन को खत्म करना चाहते हैं। 1970 के दशक से दोनों पक्षों ने शांतिपूर्ण एकीकरण प्राप्त करने की दिशा में बातचीत की, जिसमें 2000, 2007 और 2018 में इस संबंध में महत्वपूर्ण समझौते हुए। हालांकि,बहुत कम ठोस प्रगति हुई है। जनवरी 2024 में, किम ने दक्षिण कोरिया के प्रति अपने दृष्टिकोण में बदलाव की घोषणा की। एकीकरण के प्रयासों को त्यागते हुए, किम ने कहा कि दक्षिण को अब प्राथमिक और प्रमुख दुश्मन के रूप में देखा जाना चाहिए।
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उत्तर और दक्षिण कोरिया को जोड़ने वाली सड़कें तोड़ी गईं
जुलाई में, उत्तर कोरिया ने घोषणा की कि उसने अपनी दक्षिणी सीमा को और मजबूत कर दिया है। पूरे साल वह दक्षिणी सीमा पर कचरा ले जाने वाले हीलियम गुब्बारे भेज रहा है। ऐसा नॉर्थ कोरिया दक्षिण कोरियाई कार्यकर्ताओं द्वारा उत्तर विरोधी प्रचार पत्रों के साथ गुब्बारे भेजने के जवाब में कर रहा है। उत्तर और दक्षिण कोरिया को जोड़ने वाली ग्योंगगुई और डोंगहे सड़कों को उड़ाकर, उत्तर कोरिया ने औपचारिक रूप से दक्षिण के साथ सभी संबंधों को समाप्त कर दिया और शांतिपूर्ण पुनर्मिलन की किसी भी उम्मीद को खत्म कर दिया।
हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि युद्ध होने वाला है। बुसान में डोंग-ए विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान और कूटनीति पढ़ाने वाले प्रोफेसर कांग डोंग-वान ने बीबीसी से कहा, “मुझे संदेह है कि स्थिति युद्ध के स्तर तक बढ़ जाएगी। उत्तर कोरिया आंतरिक सामंजस्य को मजबूत करने के लिए सैन्य टकराव का फायदा उठा रहा है ।” उन्होंने कहा कि जब भी तनाव बढ़ता है, उत्तर कोरिया शासन के प्रति वफादारी बढ़ाने के लिए बाहरी खतरों पर जोर देता है।