दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने पिछले हफ्ते अल्पकालिक मार्शल लॉ घोषित करने के अपने फैसले का बचाव किया है। इस घटना के बाद अपने पहले बयान में योल ने कहा है कि यह शासन का एक कार्य था न कि कोई विद्रोह। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनका पद छोड़ने का कोई इरादा नहीं है।
राष्ट्रपति यून ने गुरुवार को एक टेलीविज़न बयान में अपने राजनीतिक विरोधियों को राज्य विरोधी ताकतें करार देते हुए कहा कि उत्तर कोरियाई हैकिंग प्रयासों को लेकर देश के चुनाव आयोग की जांच के लिए मार्शल लॉ की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाने के अपने आदेश का बचाव करते हुए कहा कि देश के लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा करने के उद्देश्य से उन्होंने यह फैसला लिया था। यून सुक योल का यह बयान मुख्य विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उनके खिलाफ नया महाभियोग प्रस्ताव पेश करने से कुछ घंटे पहले आया है।
मैं अंत तक लड़ूंगा- यून सुक योल
यून ने अपने फैसले के बचाव में कहा, ‘‘मैं अंत तक लड़ूंगा ताकि देश की सरकार को पंगु बनाने और देश की संवैधानिक व्यवस्था को बाधित करने के लिए जिम्मेदार ताकतों और आपराधिक समूहों को कोरिया गणराज्य के भविष्य के लिए खतरा बनने से रोका जा सके।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि मार्शल लॉ लागू करने का उद्देश्य देश के विपक्षी दल से लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा करना था। यून ने उन पर लगाए जा रहे विद्रोह के आरोपों को भी खारिज किया। यून ने कहा, ‘‘ विपक्ष अब अराजकता फैला रहा है और दावा कर रहा है कि मार्शल लॉ की घोषणा विद्रोह की कार्रवाई है लेकिन क्या यह सच है।’’
साउथ कोरिया के राष्ट्रपति ने कहा कि मार्शल लॉ लागू करना विद्रोह का कारण नहीं
यून ने आगे कहा कि मार्शल लॉ लागू करना विद्रोह का कारण नहीं बन सकता और वह जांच और महाभियोग के लिए तैयार हैं। उन्होंने टेलीविजन पर प्रसारित अपने लंबे संबोधन के अंत में कहा कि मैं अंत तक लड़ूंगा। दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने कहा, “मैं अंत तक लड़ूंगा ताकि देश की सरकार को पंगु बनाने और देश की संवैधानिक व्यवस्था को बाधित करने के लिए जिम्मेदार ताकतों और आपराधिक समूहों को कोरिया गणराज्य के भविष्य के लिए खतरा बनने से रोका जा सके।
राष्ट्रपति यून सुक योल के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव
विपक्षी पार्टी महाभियोग प्रस्ताव पर शनिवार को सदन में मतदान कराने की योजना बना रही है। इससे पहले विपक्षी दल ने पिछले शनिवार को भी ऐसा ही प्रयास किया था लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों ने नेशनल असेंबली में इसका बहिष्कार किया था। दरअसल दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने तीन दिसंबर को मार्शल लॉ लगाने का आदेश देकर सबको हैरान कर दिया था और इसके बाद से ही देश में राजनीतिक अराजकता की स्थिति है और उनके निष्कासन की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पढ़ें- दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की बढ़ी मुश्किलें
(एपी के इनपुट के साथ)