Bangladesh News: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने देश की अंतरिम सरकार से उनकी मां की अवामी लीग पार्टी पर लगाया गया प्रतिबंध हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि उसके बिना चुनाव कराना एक ढकोसला होगा।
सजीब वाजेद ने बुधवार को ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि अगर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली मौजूदा अंतरिम सरकार समावेशी चुनाव कराने में विफल रहती है तो बांग्लादेश राजनीतिक रूप से अस्थिर बना रहेगा। अपनी मां के नेतृत्व वाली पूर्व सरकार के सलाहकार रहे वाजेद ने वाशिंगटन डी.सी. में ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा, ‘‘यह प्रतिबंध हटाना होगा, चुनाव समावेशी, स्वतंत्र और निष्पक्ष होने चाहिए।’’
शेख हसीना के बेटे ने कहा, ‘‘अभी जो हो रहा है, वह वास्तव में मेरी मां और हमारे राजनीतिक नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने की कोशिश है। यह न्याय की आड़ में राजनीतिक हेराफेरी है।’’
बांग्लादेश में फरवरी, 2026 में हो सकते हैं चुनाव
बांग्लादेश में फरवरी 2026 में चुनाव होने की उम्मीद है। पिछले साल छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद से यह बांग्लादेश में पहला चुनाव होगा। इस विद्रोह ने हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया था, जिससे उनका 15 साल का शासन खत्म हो गया और उन्हें भारत भागने पर मजबूर होना पड़ा।
शेख हसीना के निष्कासन के तीन दिन बाद यूनुस ने सत्ता संभाली और व्यवस्था बहाल करने एवं सुधार लाने का वादा किया। मई में उनकी सरकार ने हसीना की अवामी लीग पार्टी की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया। हसीना की पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। पूर्व कैबिनेट मंत्रियों सहित कई अन्य नेता देश छोड़कर भाग गए। हसीना और वाजेद समेत पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के सभी निकट सदस्यों पर मानवता के खिलाफ अपराध से लेकर भ्रष्टाचार तक के आरोप लगाए गए।
अमेरिका में रहते हैं शेख हसीना के बेटे वाजेद
पिछले 30 साल से अमेरिका में रह रहे वाजेद ने कहा कि अगर अवामी लीग पार्टी को चुनाव की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया, तो नतीजों को ‘‘देश की जनता और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों द्वारा मान्यता नहीं दी जाएगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें चुनाव की तैयारी करने की अनुमति नहीं है इसलिए अगर आखिरी समय में प्रतिबंध हटा भी दिया जाए, तो भी चुनाव एक ढकोसला ही होगा।’’
वाजेद ने कहा कि अगर बांग्लादेश अस्थिर रहा तो इस्लामी ताकतों को फायदा होगा। उन्होंने यूनुस पर इस्लामी ताकतों का समर्थन करने और उन्हें सत्ता में लाने के लिए ‘‘धांधली वाले चुनाव’’ कराने की योजना बनाने का आरोप लगाया। हालांकि, अंतरिम सरकार ने इस मामले में तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की।
उन्होंने हसीना सरकार की कुछ शुरुआती ‘‘गलतियों’’ को स्वीकार किया जिस पर प्रदर्शनकारियों पर क्रूरतापूर्वक कार्रवाई करने का आरोप है, लेकिन उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को गलत बताया जिसमें कहा गया है कि विद्रोह के दौरान 1,400 लोग मारे गए होंगे। उन्होंने यूनुस के एक स्वास्थ्य सलाहकार के बयान का हवाला देते हुए कहा कि लगभग 800 लोग मारे गए थे।
वाजेद ने कहा कि सभी मौतें ‘‘अफसोसजनक’’ हैं और इनकी गहन जांच की जरूरत है, लेकिन उन्होंने यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पिछले साल की हिंसा में शामिल प्रदर्शनकारियों को छूट देने के फैसले पर सवाल उठाया।
उन्होंने यूनुस सरकार पर हसीना को निशाना बनाकर उनके खिलाफ अभियान चलाने का भी आरोप लगाया। वाजेद ने यूनुस सरकार पर मानवाधिकारों और राजनीतिक अधिकारों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अवामी लीग पार्टी के हजारों समर्थकों को एक साल से अधिक समय से जेल में रखा गया है और जमानत नहीं दी गई है तथा उनमें से कई पर हत्या का आरोप भी लगाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि विद्रोह के बाद से लगभग 500 अवामी लीग कार्यकर्ताओं की हत्या की जा चुकी है और 31 पार्टी कार्यकर्ताओं की हिरासत में मौत हो गई है।
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ह्यूमन राइट्स वॉच और कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स सहित छह अधिकार समूहों ने पिछले सप्ताह यूनुस को एक पत्र जारी कर अवामी लीग की गतिविधियों पर “व्यापक प्रतिबंध” को समाप्त करने का आग्रह किया था। इसमें कहा गया था कि यह “संघ बनाने, एकत्र होने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अत्यधिक प्रतिबंधित करता है और इसका उपयोग अवामी लीग के सदस्यों और शांतिपूर्ण गतिविधियों में शामिल कथित समर्थकों को गिरफ्तार करने के लिए किया गया है।”
इस्लामी पार्टी की वापसी
हसीना की मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया की अध्यक्षता वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी अगले चुनाव में मुख्य दावेदार है। एक अन्य प्रमुख पार्टी, जातीय पार्टी को खुलेआम काम करने की इजाज़त नहीं है, उसके पार्टी मुख्यालय पर हमले किए गए, उसे जला दिया गया और उसकी रैलियों को नियमित रूप से विफल किया गया।
बांग्लादेश का राजनीतिक परिदृश्य भी पहले से कहीं ज़्यादा बिखरा हुआ है, क्योंकि देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी, जमात-ए-इस्लामी , हसीना सरकार द्वारा दमन के एक दशक से भी ज़्यादा समय बाद राजनीति में लौट आई है। पिछले एक साल में, इसने अपनी उपस्थिति काफ़ी बढ़ाई है और अन्य कट्टरपंथी इस्लामी समूहों और पार्टियों के साथ गठबंधन बनाने की कोशिश कर रही है।
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(भाषा इनपुट के साथ)
