बांग्लादेश में हुए चुनाव में शेख हसीना की पार्टी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की है। अभी तक सारे नतीजे सामने नहीं आए हैं, लेकिन चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक एक बार फिर देश में हसीना सरकार बनने जा रही है। 300 में से 170 सीटों पर तो पार्टी पहले ही जीत दर्ज कर चुकी है और कई अन्य सीटों पर वो अपनी लीड बनाए हुए है। अब शेख हसीना और उनकी पार्टी आवामी लीग के इस शानदार और एकतरफा प्रदर्शन के कई कारण माने जा रहे हैं।
ये बात किसी से नहीं छिपी है कि इस बार के बांग्लादेश चुनाव में विपक्ष नाम के समान रहा है। चुनाव से पहले ही बहिष्कार का ऐलान कर दिया गया था, ऐसे में कई जानकार तो चुनाव को सिर्फ औपचारिकता मात्र मान रहे थे। इसी वजह से शेख हसीना को इस बार की मिली बंपर जीत को सिर्फ उनकी मेहनत या करिश्मे के साथ जोड़कर नहीं देखा जा सकता। इसका एक बड़ा कारण ये है कि उनके सामने कोई विपक्ष नहीं था। कुछ निर्दलीय प्रत्याशी जरूर चुनाव जीते हैं, लेकिन उनसे वो कड़ा मुकाबला नहीं मिला जो विपक्ष दे सकता था।
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वे इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेने वाली है। तर्क दिया गया था कि शेख हसीना की वजह से कोई भी चुनाव निष्पक्ष नहीं हो सकता और जब तक उनकी तरफ से इस्तीफा नहीं दिया जा सकता, किसी भी तरह के चुनाव का कोई फायदा नहीं। अब क्योंकि शेख हसीना ने इस्तीफा देने से मना कर दिया था, ऐसे में विपक्ष ने लोकतंत्र के उस पर्व में हिस्सा ही नहीं लिया और बड़े आराम से चौथी बार शेख हरीना पीएम बन गईं।
यहां ये समझना जरूरी है कि इस बार सिर्फ 40 फीसदी के करीब मतदान हुआ है, ये पिछली बार के मुकाबले आधा रह गया है। बांग्लादेश के पिछले चुनाव में 80 फीसदी वोटिंग हुई थी, तब जनता में नई सरकार चुनने को लेकर एक उत्साह था। लेकिन इस बार सिर्फ हिंसा देखने को मिली, कई जगह पर तनाव रहा और बूथ तो खाली भी पड़े दिख गए। जमीन पर कई लोगों ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि चुनाव को लेकर कोई उत्साह नहीं था, कोई अपने घर से बाहर निकलकर वोटिंग करने भी नहीं गया। वैसे भी विपक्ष ने क्योंकि चुनावों का बहिष्कार कर दिया था, ऐसे में उनका बड़ा वोटर भी वोटिंग के लिए नहीं निकला।
इसी का नतीजा है कि चौथी बार शेख हसीना बांग्लादेश की सत्ता संभालने जा रही हैं। वैसे उनकी पार्टी को जरूर थाली में सजाकर ये जीत मिल गई है, लेकिन खुद हसीना ने एक बड़ा रिकॉर्ड बना डाला है। उन्होंने अपनी सीट गोपालगंज-3 से बड़े अंतर से जीत दर्ज की, उनके खाते में कुल 249,965 वोट गए, वहीं उनके विरोधी एम निजाम उद्दीन लश्कर को महज 469 वोट ही मिल सके। अभी के लिए विपक्ष की तरफ से चुनावी नतीजों को फर्जी बता दिया गया है और जोर देकर कहा गया है कि आगे भी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जारी रखा जाएगा।
वैसे बांग्लादेश में इस बार के जो चुनाव हुए हैं, उसमें शेख हसीना का साइलेंट सपोर्टर भारत भी था। इस बार की ग्लोबल पॉलिटिक्स ऐसी थी कि भारत हर कीमत पर शेख हसीना को फिर पीएम बनता देखना चाहता था। असल में इसका एक बड़ा कारण राष्ट्रीय सुरक्षा है। भारत और बांग्लादेश हजारों किलोमीटर का बॉर्डर साझा करते हैं, ऐसे में हर लिजार से स्थिति शांतिपूर्ण बनी रहे, ये जरूरी है।
जब बांग्लादेश में 2009 तक बीएनपी की सरकार थी, तब भारत के साथ उसके रिश्ते खराब हो चले थे। इसका एक बड़ा कारण ये था कि बीएनपी के राज में कई कट्टरपंथी संगठन सक्रिय हो गए थे, पाकिस्तान की ISI के साथ भी खूब दोस्ती निभाई जा रही थी। ये सारे वो समीकरण थे जो भारत के लिए बिल्कुल भी मुफीद नहीं हो सकते थे। वहीं दूसरी तरफ जब शेख हसीना और उनकी आवामी पार्टी बांग्लादेश में सरकार बनाने में कामयाब हुई, जमीन पर काफी कुछ बदल गया। ना सिर्फ दोस्ती का हाथ बढ़ाया गया, बल्कि जिससे भी भारत को दिक्कते थीं, उन सभी को भी बाहर का रास्ता दिखाया गया। इसके ऊपर बांग्लादेश भारतीय सामान के लिए पांचवा सबसे बड़ा निर्यातक देश बना हुआ है, इस लिहाज से भी शेख हसीना की सरकार हिंदुस्तान के लिए सही साबित हुई है।