वरिष्ठ पाकिस्तानी और अमेरिकी अधिकारियों ने शुक्रवार (10 जून) को द्विपक्षीय संबंध पर स्पष्ट बातचीत की जिसमें बलूचिस्तान में हाल ही में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में अफगान तालिबान प्रमुख मुल्ला मंसूर के मारे जाने और वित्तपोषण विवाद के चलते एफ-16 लड़ाकू जेट विमान सौदा पर अमेरिका के टालमटोल से तनाव आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान और पाकिस्तान विषयक वरिष्ठ निदेशक पीटर लैवॉय और अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि रिचर्ड ओल्सन वाला यह प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान के असैन्य एवं सैन्य नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए शुक्रवार (10 जून) सुबह यहां पहुंचा।

लैवॉय ने प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज और विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी से भेंट की। बलूचिस्तान में 21 मई के ड्रोन हमले के आलोक में ‘उन्होंने द्विपक्षीय संबंध, क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति और अफगान शांति प्रक्रिया पर स्पष्ट बातचीत की।’ इक्कीस मई के ड्रोन हमले में अफगान तालिबान प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर मारा गया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि सलाहकार ने अमेरिका को इस बात का कड़ा संदेश दिया कि ड्रोन हमला न केवल पाकिस्तान की संप्रभुता और संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के सिद्धांतों का उल्लंघन है बल्कि इससे द्विपक्षीय संबंधों को भी नुकसान पहुंचा है।

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय का बयान कहता है, ‘इस बात पर बल दिया गया कि पाकिस्तान में कोई भी भावी ड्रोन हमला संबंधों को मजबूत बनाने की साझी इच्छा के लिए हानिकारक होगा।’ इस अमेरिकी ड्रोन हमले में मंसूर के साथ मारे गए पाकिस्तानी ड्राइवर के परिवार ने भी इंसाफ की मांग की है। अजीज ने कहा कि इस ड्रोन हमले से अफगान शांति प्रक्रिया और सुलह प्रक्रिया के वर्तमान प्रयास को ऐसे समय में गंभीर धक्का पहुंचा है जब पाकिस्तान चतुर्पक्षीय समन्वय समूह (क्यूसीजी) देशों के साथ मिलकर अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता बहाल करने की गंभीर कोशिश में जुटा है।

विदेश सचिव ने यह याद किया कि क्यूसीजी की 18 मई, 2016 की पांचवीं बैठक में यह निर्णय किया गया था कि वार्ता ही राजनीतिक समाधान का एकमात्र विकल्प है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति के संवर्धन के लिए क्यूसीजी सदस्यों की ओर से सामूहिक प्रयास जरूरी होगा। क्यूसीजी में पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान, चीन और अमेरिका हैं। अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के तौर तरीके पर मतभेद, भारत के साथ अमेरिका के बढ़ते रक्षा संबंध, खासकर परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की दावेदारी के लिए समर्थन को लेकर पाकिस्तान अमेरिका के संबंधों में गिरावट आ रही है।

पाकिस्तान आठ एफ-16 लड़ाकू विमान सौदे पर अमेरिकी कांग्रेस के टालमटोल वाले रवैये को लेकर भी नाखुश है। अमेरिकी कांग्रेस ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पाकिस्तान की गतिविधियों को गैर प्रभावकारी बताते हुए उसे दिए जाने वाले वित्तीय अनुदान पर रोक लगा दी है। लेकिन इस्लामाबाद का मानना है कि कांग्रेस ने भारतीय खेमेबंदी और दबाव के चलते ऐसा किया है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार तालिबान के लिए पाकिस्तान में पनाहगाह संबंधी अमेरिकी सवाल के जवाब में इस बात पर बल दिया गया कि पाकिस्तान राष्ट्रीय कार्ययोजना के मुताबिक अपनी सरजमीं से सभी आतंकवादियों का सफाया करने के अपने उद्देश्य पर पहले से ही आगे बढ़ रहा है। साथ ही, पाकिस्तान को बेहतर सीमा प्रबंधन और अफगान शरणार्थियों के जल्द प्रत्यर्पण के माध्यम से अपनी सुरक्षा भी सुरक्षित रखनी होगी ।

पाकिस्तान अफगानिस्तान में टीटीपी आतंकवादियों के खिलाफ अफगान सैन्यबलों द्वारा कार्रवाई की भी उम्मीद करता है। इन कदमों से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंध बेहतर होने में मदद मिलेगी तथा अविश्वास कम होगा। बयान के अनुसार लैवॉय ने प्रधानमत्री नवाज शरीफ के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की राष्ट्रपति बराक ओबामा की कामना से अवगत कराते हुए कहा कि ओबामा पाकिस्तान के साथ संबंधों में सुधार के लिए कटिबद्ध हैं।