मशहूर लेखक सलमान रुश्दी को वेंटिलेटर से हटा दिया गया है। जिसके बाद शनिवार को वह बात करने में भी सक्षम थे। उनके साथी लेखक आतिश तासीर ने शनिवार शाम को ट्वीट किया कि वह वेंटिलेटर से बाहर थे और बातचीत के साथ-साथ हंसी मजाक भी कर रहे थे। रुश्दी के एजेंट, एंड्रयू वायली ने भी ज्यादा जानकारी दिए बिना इस बात की पुष्टि की।

गंभीर रूप से जख्मी सलमान रुश्दी का इलाज अभी भी जारी है। डॉक्टरों ने उनकी सर्जरी की है। जानकारी के मुताबिक उनकी सेहत में पहले से सुधार है। उन्हें अब वेंटिलेटर पर से हटा दिया गया है। गंभीर रूप से जख्मी होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। इससे पहले रुश्दी के एजेंट, एंड्रयू वायली ने जानकारी दी थी कि सलमान रुश्दी शुक्रवार शाम को वेंटिलेटर पर थे। हमले के चलते उनके लीवर को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा उन्हें एक आंख खोने का खतरा भी था।

रुश्दी की गर्दन पर चाकू से कई वार: अमेरिका के न्यूयॉर्क में 12 अगस्त 2022 को बुकर पुरस्कार विजेता और द सैटेनिक वर्सेज के लेखक सलमान रुश्दी पर हमला हुआ था। उनपर हमला उस वक्त हुआ जब रुश्दी पश्चिमी न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में बोलने वाले थे। सलमान रुश्दी को पिछले कई सालों से जान से मारने की धमकियां मिल रही थी।

स्थानीय पुलिस के मुताबिक सलमान रुश्दी की गर्दन पर चाकू से वार किया गया है। हमलावर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस ने सलमान रुश्दी पर हमला करने वाले की पहचान हादी मतार के रूप में की है। वह 24 साल का है और न्यू जर्सी के फ़ेयरव्यू का रहने वाला है।

हमलावर को जमानत के बिना जेल: वहीं, अदालत में सलमान रुश्दी पर हमला करने वाले हादी मतार ने दोषी नहीं होने की बात कही। हमलावर ने अपनी गलती मानने से इनकार कर दिया है, जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया है। अभियोजन पक्ष ने इसे प्री प्लानड क्राइम कहा। कोर्ट ने हाजी मतार को जमानत के बिना जेल में रखने का आदेश दिया। डिस्ट्रिक अटॉर्नी जेसन श्मिट ने कोर्ट में बताया कि सलमान रुश्दी को नुकसान पहुंचाने के लियी हाजी ने उनके कार्यक्रम के लिए पास फर्जी आईडी से हासिल किए। उन्होंने कहा कि यह रुश्दी पर एक टारगेटेड, बेजवजह और पूर्वनियोजित हमला था।

सालों तक रहे अंडरग्राउंड: ‘द सैटेनिक वर्सेज’ के प्रकाशन के बाद से उन्हें कई बार जान से मारने की धमकियां मिली। ईरान ने रुश्दी को मारने वाले को 30 लाख डॉलर से ज्यादा का इनाम देने की पेशकश की थी। 14 फरवरी, 1989 को इस किताब के लिए ईरान के दिवंगत धार्मिक नेता अयातुल्ला रुहोल्ला खुमैनी ने एक फतवा जारी किया था जिसमें रुश्दी की मौत का फरमान किया गया था। मुस्लिम समुदाय ने इस उपन्यास का काफी विरोध किया था। इस उपन्यास के छपने के बाद रुश्दी कई साल तक अंडरग्राउंड रहे।