पाकिस्तान की जिद की वजह से बुधवार को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के आठों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने संबंधी समझौते पर दस्तख्त नहीं हो पाए। शिखर बैठक के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदस्य राष्ट्रों से आतंकवाद के खात्मे के लिए अपनी प्रतिबद्धता निभाने को कहा। सार्क शिखर बैठक का उद्घाटन बुधवार को ऐसे दिन हुआ, जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने छह बरस पहले भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई पर दिल दहला देने वाला हमला कर 166 बेगुनाहों की जान ले ली थी। मोदी ने शिखर बैठक में अपने संबोधन में अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ और छह अन्य नेताओं से कहा कि हमें लोगों की जान जाने की अंतहीन पीड़ा है।
शरीफ अपने संबोधन में आतंकवाद के मुद्दे पर कुछ नहीं बोले। हालांकि, अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने अपने संबोधनों में आतंकवाद की कड़ी आलोचना की। राजपक्षे ने कहा-आतंकवाद क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह से बुनियादी सुरक्षा चुनौती बना हुआ है। कुछ लोगों के कट्टर ख्याल और कुछ अन्य का गलत एजंडा क्षेत्र की शांतिप्रिय अधिसंख्य आबादी की सुरक्षा को कमजोर नहीं कर सकता।
पाकिस्तान की हठधर्मी सार्क देशों के बीच संपर्क बढ़ाने संबंधी समझौतों, जिनमें मोटर वाहन समझौता शामिल है, में बाधक बन गई क्योंकि पाकिस्तान ने कहा कि उसने इस संबंध में अपनी अंदरूनी प्रक्रिया पूरी नहीं की है। हालांकि श्रीलंका, बांग्लादेश और भारत ने क्षेत्र में लोगों और सामान की आवाजाही सुगम बनाने के लिए इन समझौतों पर हस्ताक्षर की जोरदार वकालत की।
नेपाल के विदेश मंत्री महेंद्र बहादुर पांडे ने कहा कि कुछ रुकावटें हैं और हम उन्हें हटाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका देश इस बात की हर मुमकिन कोशिश करेगा कि मोटर वाहन समझौते सहित संपर्क समझौतों पर गुरुवार को सार्क घोषणापत्र से पहले हस्ताक्षर हो जाएं। क्षेत्र में बेहतर संपर्क की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 18वें सार्क सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा-हमारे रिश्ते मजबूत होते हैं, जब हम हमारे देशों के आम लोगों के जीवन को जोड़ते हैं। इसीलिए रेल और सड़क संपर्क बेहतर होना जरूरी है। हमें हवाई मार्ग से भी खुद को जोड़ना चाहिए। भारत के लिए हमारी नजर पांच स्तंभों पर टिकती है।
व्यापार, निवेश, सहायता, हर क्षेत्र में सहयोग और हमारी जनता के बीच संपर्क और यह सब त्रुटिहीन संपर्क के जरिए हो। राजपक्षे ने कहा कि बेहतर संपर्क से आर्थिक समन्वय बढ़ेगा और क्षेत्र के लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि उनका देश क्षेत्रीय मोटर वाहन समझौते और रेलवे समझौतों का हिमायती है क्योंकि इनसे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। शिखर बैठक में अपने आधे घंटे के भाषण में मोदी ने कहा कि सार्क के रूप में हम उतनी गति से आगे नहीं बढ़ पाए जितनी हमारे लोगों ने उम्मीद की थी। कुछ लोगों का कहना है कि ऐसा विभिन्न देशों के बीच विकास के अंतर की वजह से हो रहा है। उन्होंने कहा, या फिर ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हम हमारे मतभेदों की दीवारों के पीछे फंसे हुए हैं और अतीत की छाया से निकलने से हिचकिचा रहे हैं। इससे हमारे मतभेद दूर नहीं होंगे, बल्कि हम अवसरों से भी वंचित हो जाएंगे। मोदी ने कहा कि सीमाओं की बाधाएं प्रगति को रोक देती हैं और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी से उसे गति मिलती है।
मोदी ने सार्क देशों के बीच संपर्क बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि व्यक्ति हो या राष्ट्र दुनिया में सब यही चाहते हैं कि उनका पड़ोस अच्छा हो। एक व्यक्ति के जीवन अथवा एक राष्ट्र के लिए एक अच्छा पड़ोस सार्वभौमिक आकांक्षा होती है। मोदी ने सार्क देशों की कंपनियों को भारत में कारोबार के लिए समान अवसर मुहैया कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा-हम आपकी शंकाओं को दूर करेंगे और आपको भारत में समान अवसर देंगे, लेकिन मैं आपको भारतीय निवेश को आकर्षित करने और भारतीय बाजारों के लिए उत्पाद तैयार कर अपने देश के युवकों के लिए रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित करता हूं। मैं एक ऐसे भविष्य की ओर देखता हूं, जहां आपकी कंपनियां अपने देश में निवेश के लिए भारत में धन जुटाएं और जब हमारे पास सीमापार औद्योगिक गलियारे होंगे तो हम प्राकृतिक सहभागिता और हमारे सीमावर्ती राज्यों में लोगों के जुड़े हुए जीवन का लाभ उठा सकेंगे। मोदी ने कहा कि भारत इलाज के लिए आने वाले सार्क देशों के मरीज और उसके साथ एक तीमारदार को तत्काल मेडिकल वीजा प्रदान करेगा। इसके साथ ही सार्क देशों को 3-5 साल का बिजनेस वीजा भी दिया जाएगा।
स्वास्थ्य को सार्क सदस्य देशों के बीच सहयोग का एक बड़ा क्षेत्र करार देते हुए मोदी ने कहा कि भारत पोलियो मुक्त देशों को इसपर निगरानी बनाए रखने और जहां यह दोबारा उभर सकता है वहां उचित टीकाकरण में सहयोग करेगा। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत टीबी और एचआइवी के लिए सार्क रिजनल सुपर रेफरेंस लेबोरेटरी के निर्माण में धन की कमी को पूरा करेगा। हम दक्षिण एशिया के बच्चों के लिए फाइव-इन-वन दवा की पेशकश करते हैं।
शिक्षा का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारत आॅनलाइन पाठयक्रमों और ई-लाइब्रेरी के जरिए दक्षिण एशिया के छात्रों को जोड़ने के लिए तैयार है और भारत का नेशनल नॉलेज नेटवर्क जब तैयार होगा तो वह सार्क देशों तक उसकी पहुंच तय करने को तैयार है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संबंध में मोदी ने कहा कि सार्क क्षेत्र के लिए एक समर्पित उपग्रह का भारत का ‘तोहफा’ 2016 में प्रक्षेपित किए जाने की योजना है। मोदी ने कहा कि दक्षिण एशिया संपन्न लोकतंत्र, समृद्ध विरासत, युवाओं की बेजोड़ मजबूती का क्षेत्र है और यहां बदलाव व प्रगति की बहुत ज्यादा ललक है। उन्होंने कहा-मेरा भारत के लिए जो सपना है वही भविष्य मैं हमारे पूरे क्षेत्र के लिए चाहता हूं।
प्रधानमंत्री ने मई में अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क नेताओं के शामिल होने के लिए उनकी सराहना करते हुए कहा कि मैंने पूरी दुनिया की शुभकामनाओं के साथ अपना पदभार संभाला, लेकिन जिस चीज ने मुझे सबसे ज्यादा अभिभूत किया, वह मेरे प्रिय सहयोगियों आपकी मौजूदगी थी। अपने विदेश दौरों के अनुभव को साझा करते हुए मोदी ने कहा, मध्य प्रशांत क्षेत्र से अटलांटिक महासागर के दक्षिणी तट तक मुझे एकीकरण की एक लहर उठती दिखती है। विकास के शिखर पर चढ़ने के दौरान हम एक जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं। लेकिन मुझे हमारी असीमित क्षमता पर भरोसा है, जो हमारे सभी देशों की नवाचार की कई प्रेरणादायी कहानियों और पहलों से आती हैं।
उन्होंने कहा-हालांकि सार्क का गठन 30 साल पहले हुआ था जब हम सार्क की बात करते हैं तो हमें अकसर दो प्रतिक्रियाएं मिलती हैं-निराशावाद व अविश्वास। आइए हम निराशावाद को आशावाद में बदलने के लिए काम करें।