रूस और यूक्रेन ने नए दौर की बातचीत के जरिए संघर्ष के समाधान का एक कमजोर कूटनीतिक रास्ता खुला रखा है, लेकिन इसी बीच मास्को की सेना ने कीव और देश के अन्य शहरों में बमबारी और तेज कर दी है। उधर, यूक्रेन का दावा है कि उसने रूस के 13 हजार 500 सैनिकों को मारा है।
यूक्रेन सरकार के एक ट्वीट के मुताबिक उनकी सेना ने रूस के 81 विमान, 95 हेलीकॉप्टर, 404 टैंक, 9 यूएवी, 1279 सैन्य वाहन, 1500 तोपें, 64 एमएलआरएस, 640 सामान्य वाहन, 3 जहाज, 36 एंटी एयरक्रॉफ्ट वारफेयर सिस्टम तबाह किए हैं।
ध्यान रहे कि रूस यूक्रेन की लड़ाई खतरनाक दौर में पहुंच चुकी है। जेलेंस्की की सेना और लोग हार नहीं मान रहे हैं। रूस पीछे हटने को तैयार नहीं है पर वहां भी पुतिन का विरोध हो रहा है। लोग इतने गुस्से में हैं कि रूस के सरकारी टेलीविजन चैनल पर एक समाचार कार्यक्रम के दौरान सोमवार शाम एक महिला यूक्रेन में रूस के आक्रमण का विरोध करते हुए एक पोस्टर पकड़े स्टूडियो में घुस गई।
Ukraine Ministry of Foreign Affairs tweets information on the "losses of the Russian armed forces in Ukraine, March 15."#RussiaUkraineConflict pic.twitter.com/Xy8qvfi79b
— ANI (@ANI) March 15, 2022
उधर, चीन ने मंगलवार को कहा कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर उसका रुख निष्पक्ष है। उसने अमेरिका पर बार-बार यह दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया कि चीन ने सैन्य आपूर्तियों के रूसी अनुरोध पर सकारात्मक जवाब दिया है। हालांकि, चीन ने यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना करने से भी इनकार किया है। दूसरी तरफ पोलैंड, चेक गणराज्य और स्लोवाकिया के नेता यूक्रेन के प्रति समर्थन दर्शाने के यूरोपीय संघ के एक अभियान के तहत मंगलवार को कीव का दौरा करने जा रहे हैं।
30 लाख से ज्यादा लोगों ने छोड़ा देश
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) का कहना है कि पिछले महीने रूसी आक्रमण के बाद से 30 लाख से अधिक लोग यूक्रेन से भाग गए हैं। इस बात के भी संकेत दिए गए हैं कि करीब एक लाख 57 हजार अन्य देशों के नागरिक भी इनमें शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इसे यूरोप में सबसे बड़ा शरणार्थी संकट कहा है।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने बताया है कि 18 लाख से अधिक शरणार्थी पोलैंड में थे। यूएनएचसीआर के प्रवक्ता मैथ्यू साल्टमार्श ने कहा कि लगभग वहां से लगभग तीन लाख शरणार्थी पश्चिमी यूरोप चले गए थे। उन्होंने कहा कि देश से निकलने वालों में अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं।